MHI - 10, Lesson-9, एक प्रमुख नगरीय केन्द्र का अध्ययन : मोहनजोदड़ो (Case Study of a Major Urban Centre: Mohenjodaro) || The E Nub ||

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एक प्रमुख नगरीय केन्द्र का अध्ययन : मोहनजोदड़ो (Case Study of a Major Urban Centre: Mohenjodaro)




एक प्रमुख नगरीय केन्द्र का अध्ययन : मोहनजोदड़ो

(Case Study of a Major Urban Centre: Mohenjodaro)

 

Ø  मोहनजोदड़ो हड़प्पा संस्कृतियों के नगरों का प्रतिनिधि माना जाता है।

Ø  इसकी खोज में अनेक पुरातत्वविदों ने योगदान दिया;

Ø  जैसे - आर..एम. ह्वीलर, डी.आर. भण्डारकर, आर.डी. बनर्जी, डी. आर. साहनी, जॉन मार्शल और . जे.एच. मैके

Ø  इस स्थल का उत्खनन सर्वप्रथम जॉन मार्शल और मैके ने किया और रिपोर्ट्स प्रकाशित कीं।

 

संरचना

Ø  मोहनजोदड़ो नगर की बसावट दो भागों में विभाजित थी

Ø  छोटा अधिक ऊंचा भाग दुर्ग और बड़ा नीचे का भाग निचला शहर कहा गया है।

Ø  मार्शल के नेतृत्व में इसका उत्खनन अनेक भागों में किया गया।

Ø  यह नगर सिन्धु नदी के दक्षिण तट पर था

Ø  इस नदी की बाढ़ के कारण इसकी कई बार हानि हुई थी।

Ø  नगर विशाल चबूतरे पर बनाया गया था।

Ø  निचले शहर में घर एक-दूसरे से सटे हुए बने थे,

Ø  दीवार की मोटाई दो घरों को सीमांकित करती है।

Ø  निचले शहर में अनेक सड़कें और गलियां थीं।

Ø  सड़के चौड़ी थीं, परंतु गलियां संकरी और टेढ़ी-मेढ़ी थीं।

Ø  मुख्य सड़कों पर बैलगाड़ी आदि वाहन चलते थे।

Ø  मोहनजोदड़ों के सड़क पैटर्न को 'ग्रिड योजना' कहा जाता था।

Ø  नगर की प्रमुख सार्वजनिक सुविधाओं में नाली प्रणाली उल्लेखनीय है।

Ø  नालियां पक्की ईंटों की बनी होती थीं और ढकी होती थीं।

Ø  घर का अपशिष्ट नालियों से होकर सार्वजनिक नालियों में चला जाता था।

Ø  पेयजल के लिए सभी घरों में कुएं थे, जो घर के मुख्य द्वार पर होते थे

Ø  बाहर के लोग भी वहां से जल प्राप्त कर सकते थे।

 


सार्वजनिक स्थापत्य

Ø हड़प्पा सभ्यता के मोहनजोदड़ो के भवनों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है-

Ø सार्वजनिक स्थापत्य और घरेलू घर।

Ø दुर्गटीला पर निर्मित अधिकांश स्थापत्य सार्वजनिक प्रकृति के थे।

Ø निचले शहर के कुछ भागों में भी बड़े भवन देखे गए हैं।

Ø दुर्ग के बड़े क्षेत्रों में उत्खनन किया गया - उत्तरी समूह (SD) और दक्षिणी समूह (L क्षेत्र)

Ø उत्तरी समूह में टीले पर आकर्षक स्नानागार है, जिसके चारों ओर स्तम्भयुक्त बरामदा है।

Ø कुंड का आयतन लगभग 160 घन मीटर रहा होगा।

Ø इसके दोनों तरफ कई कमरे हैं, जो संभवतः पुरोहितों के थे।

Ø स्नानागार भवन के चारों ओर सड़क और गलियां थीं।

Ø पानी के निकास के लिए विशाल नाली थी।

Ø स्नानागार के उपर एक तल और था।

Ø दुर्ग पर भवनों के दक्षिण समूह में एक विशाल स्तम्भ युक्त हाल था, जिसकी छत खम्भों पर टिकी थी।

Ø निचले शहर में कुछ विशाल भवन थे।

Ø मैके ने उत्तरी भाग में एक भवन को महल कहा है।

Ø इस भवन में दो बड़े खुले आंगन और कोने में एक भट्टी थी।

Ø महल का अधिकांश स्थान कार्यस्थल था और एक हिस्से में रहने के कमरे जिन्हें भण्डार कक्ष या सेवकों का क्वार्टर कहा गया है।

Ø मोहनजोदड़ो के घर निचले शहर की विविध योजनाओं से मोहनजोदड़ों नगर की प्रकृति का पता चलता है।

Ø यह एक ऐसा ब्लाक है, जिसमें कमरे हैं, इसलिए मार्शल ने घर का नाम दिया है।

Ø यहां दोहरी पंक्ति के समान आकार के भवनों में परिचारकों के आवास थे।

Ø कुछ भवनों में छोटे खड़ंजे वाले स्नान के फर्श थे।

Ø दक्षिणी छोर पर एक कुआं है, जिसका संभवत: साझा प्रयोग किया जाता था।

Ø एक दूसरे घर में एक ही प्रवेश द्वार था, जिससे होकर अनेक कमरों में जाया जा सकता था।

Ø खुले आंगन में ईंट बिछाई गई थीं और एक ढकी नाली थी।

Ø प्रवेश द्वार के आगे एक छोटे खड़ंजे वाला कमरा था, जिसमें एक कुआं बना था, एक द्वार स्नानागार से जुड़ा था।

Ø आंगन के चारों ओर अनेक कमरे थे, जिनका कार्य स्पष्ट नहीं है।

Ø आंगन के उत्तर में रसोईघर और एक अतिथि कक्ष था।

Ø कमरे की छतों में लकड़ी के शहतीर लगे हैं।

Ø मोहनजोदड़ो के निजी घर के संबंध में अन्ना सारसिना ने कार्य किया है।

Ø उन्होंने मोहनजोदड़ो के पांच आवासीय मॉडल बनाये हैं।

Ø इन मॉडलों में आंगन की अवस्थिति और कमरों की आंतरिक व्यवस्था के आधार पर विभेद किया है।

Ø उनके अनुसार आंगन प्राय: सड़क या गली से सीधे नहीं जुड़ा हुआ था।

Ø प्रवेश एक कमरे से होकर गुजरता था।

Ø उनका यह भी कहना है छोटे घर प्रायः छोटे परिवारों के थे।

Ø बड़े और छोटे सभी घर ध्यान से बनाये गए थे।

 

मोहनजोदड़ों में शिल्प कार्य

Ø नगरीय विशेषताओं में एक मुख्य विशेषता मोहनजोदड़ो का शिल्प उत्पादन है।

Ø शिल्प उत्पादन के लिए पुरातात्विक साक्ष्यों में अर्धनिर्मित वस्तुएं, कच्ची सामग्री के अवशेष, औजार एवं अपशिष्ट हैं।

Ø  इन वस्तुओं की प्राप्ति के स्थान से लगभग शिल्प उत्पादन की अवस्थिति की जानकारी हो जाती है।

Ø  उत्खनन स्थलों से इसका स्पष्ट ज्ञान होता है।

Ø इटली के एक दल की भूतल सर्वेक्षण के द्वारा प्राप्त सूचना से ज्ञात होता है कि -  मोहनजोदड़ो का पूर्वी और दक्षिण पूर्वी हिस्सा शिल्प क्षेत्र थे।

Ø  इटली के सर्वेक्षण दल ने इस पूरे हिस्से ने को शिल्पकारों का क्षेत्र घोषित किया।

Ø मोहनजोदड़ो के शिल्प सूचकों में पत्थर के मनकों का काम, पत्थर के फलक का काम बाट का उत्पादन, मुहर की कटिंग, मुद्भाण्डों का उत्पादन, सेलखड़ी और धातुकर्म के साक्ष्य मिलते हैं।

Ø लगभग सभी खुदाई वाले क्षेत्रों में शिल्प सूचक फैले हुए हैं।

Ø शिल्पकार्य अल्पाधिक निचले शहर तक सीमित हैं।

Ø कभी-कभी एक ही संरचना विभिन्न शिल्पों के काम को स्पष्ट करती है।

मोहनजोदड़ो में शिल्प प्रक्रियाओं के स्थानीयकरण के कुछ साक्ष्य मिलते हैं।


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By Vishwajeet Singh


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