युद्ध अवधि के दौरान राष्ट्रवादी राजनीति Part-1
भारत पर प्रथम विश्व युद्ध के प्रभाव
भारत पर प्रथम विश्वयुद्ध के मुख्य प्रभाव निम्नलिखित हैं-
मानव के सभी पक्षों- राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक में परिवर्तन हुआ।
1. ब्रिटिश सरकार ने भारत की जनता से मदद मांगी।
· कई लोगों ने समर्थन दिये जाने का विरोध किया।
· अन्य लोगों का विश्वास था कि युद्ध में ब्रिटिश सरकार की मदद की जानी चाहिए।
· उस समय भारत में स्वशासन की मांग उठ रही थी।
· समर्थन दिए जाने से स्वशासन प्राप्त करने का रास्ता सरल हो सकता है और भारत स्वतंत्र हो सकता है।
2. युद्ध में भारतीय सैनिकों की बड़ी संख्या शामिल हुई |
· उसे अनेक मोर्चों पर लगाया गया।
· बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए और बुरी तरह घायल हुए।
· अनेक सैनिक भूख से मर गए और बीमारियों से ग्रस्त हो गए।
3. भारत को जीवन की हानि के अलावा युद्ध से उत्पन्न भारी कर्ज भी भरना पड़ा,
· जिसका लोगों के आर्थिक जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ा।
· भारत को करों के बोझ से दबा दिया गया।
· अनेक करों में बेहताशा वृद्धि की गयी -
जैसे-भूराजस्व, नमक कर और अन्य कर।
· भारत में पहली बार 1917 ई. में एक सुपर टैक्स भी लगाया गया।
4. बी. आर. टॉमलिसन द्वारा - आर्थिक प्रभाव
(i) बिना भू-राजस्व के प्रति व्यक्ति कर का भार 1914-15 में 1.5 रुपये से बढ़कर 1918-19 में लगभग 2.5 रुपये हो गया।
(ii) लड़ाई की अवधि के दौरान भारत सरकार ने 105 करोड़ रुपये से अधिक नए स्थायी ऋण का भार उठाया तथा 108 करोड़ रुपये से अधिक के अल्पकालिक ऋण का भार वहन किया।
· इसकी ब्याज अदायगी 1917-18 के दौरान 10.9 करोड़ रुपये तथा 1918-19 के दौरान 12.2 करोड़ रुपये हो गयी।
5. कर भार का भारतीय जनता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
· खाद्य पदार्थों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई
· सैनिकों के भोजन के लिए खाद्य वस्तुओं के निर्यात
6. भू-स्वामी किसानों को अपनी जमीन का मालिकाना अधिकार अजोतदार वर्गों को देना पड़ा,
7. युद्ध के दौरान उद्योगों का विकास हुआ
· बड़े उद्योगपतियों इसका खूब लाभ उठाया।
· वस्तुओं के दाम बढ़ने और कम मजदूरी होने से मजदूरों को पर्याप्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
· फलस्वरूप मजदूरों ने कई बार हड़तालें
8. भारतीयों को न चाहते हुए भी सेना में भर्ती होना पड़ा
9. भारतीयों के प्रत्येक वर्ग ने युद्ध में ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा और समन्वय का असामान्य प्रदर्शन किया।
· संभवतः यह इसलिए किया जिससे ब्रिटिश शासन स्वशासन में उनकी सहायता करेगा,
· परन्तु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और राष्ट्रवादी नेताओं को निराशा हाथ लगी।
10. यद्यपि ब्रिटिश सरकार ने युद्ध में सहायता के बदले कुछ नहीं दिया,
· परन्तु भारतीय राष्ट्रवादी नेतृत्व को स्वशासन प्राप्त करने के लिए रणनीति के पुनर्निर्माण का अवसर मिल गया।
11. युद्ध के दौरान क्रांतिकारी कार्यवाहियों में तेजी से वृद्धि हुई।
· भारतीयों के लिए सर्वाधिक सकारात्मक प्रभाव होमरूल आन्दोलन का विकास था,
· जिसने ब्रिटिश सरकार को चिन्ता में डाल दिया।
12. 1918-19 और
1920-21 में देश के बहुत सारे हिस्सों में फसल खराब हो गई
· जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया।
· उसी समय फ़लू की महामारी फैल गई।
· 1921
की जनगणना के मुताबिक दुर्भिक्ष और महामारी के कारण
120-130 लाख लोग मारे गए।
निष्कर्ष :
· भारत पर इसके प्रभाव कई मायनों में सकरात्मक भी कहे जा सकते हैं क्योंकि
· भारतीय सैनिकों के इस युद्ध में शामिल होने की शर्तों को ब्रिटिश हुकूमत द्वारा पूरा न किये जाने से भा रतीयों का उसके प्रति मोहभंग हो गया और बढ़ते असंतोष ने राष्ट्रवाद को बढ़ाया,
· अंततः स्वतंत्रता की चेतना प्रस्फुटित हुई।
· इसके अतिरिक्त सामाजिक,राजनीतिक एवं अर्थव्यवस्था के स्तर पर भी व्यापक परिवर्तन देखे गए।
· संक्षेप में कहा जा सकता है कि युद्ध के दौरान अर्थव्यवस्था ने कई मायनों में भारत में पूंजीवाद को बढ़ावा दिया।
Link for This Video
युद्ध अवधि के दौरान राष्ट्रवादी राजनीति Part-1
Follow Us On
The E Nub & Nub Info
By Vishwajeet Singh