क्रांतिकारी प्रवृत्तियाँ (Revolutionary Trends )
क्रांतिकारी प्रवृत्तियाँ
(Revolutionary Trends )
v भारत के युवाओं की क्रांतिकारी प्रवृत्तियों ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में बहुत योगदान दिया।
v भारत में क्रांतिकारी विचारधारा का जन्म 19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में हुआ।
v युवाओं में क्रांतिकारी विचारधारा पर अनेक राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं और कारकों का प्रभाव था।
v भारत में क्रांतिकारी आंदोलन उग्रवाद के साथ ही तेज हो गया था।
v सभी क्रांतिकारियों का मुख्य उद्देश्य मातृभूमि को विदेशी शासन से मुक्त कराना था।
पृष्ठभूमि
v भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में की गई।
v क्रांतिकारियों के दो शक्तिशाली केन्द्र महाराष्ट्र और बंगाल थे।
v बाल गंगाधर तिलक और सावरकर आदि ने महाराष्ट्र का नेतृत्व किया,
v बकिमचंद्र, अरविंदो घोष और विवेकानंद ने बंगाल में क्रांति का अलख जगाया।
v प्रमथनाथ मित्रा ने 24 मार्च, 1902 को अनुशीलन समिति की
स्थापना की।
आरंभिक विकास
v 1905 में बंगाल का विभाजन और अंग्रेजों की 'फूट डालो और शासन करो' की नीति
v क्रांतिकारियों द्वारा - विदेशी के विरुद्ध स्वदेशी का नारा ल गाया।
v औपनिवेशिक अधिकारियों की हत्या करने की योजना बनाई।
v मुजफ्फरपुर में खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने बम का प्रयोग किया।
v तिलक ने इसको भारतीय राजनीति के दृष्टिकोण से परिवर्तन माना।
v 1908 में बनारस में सचिन्द्रनाथ सान्याल ने 'अनुशीलन समिति को स्थापित किया,
v रासबिहारी बोस ने दिल्ली में एक ग्रुप को पुनः सक्रिय किया और 'लिबर्टी' नामक पत्रिका निकाली।
v इस ग्रुप के द्वारा बम बनाने की विधि सिखायी जाती थी।
v 23 दिसम्बर, 1912 को वायसराय लार्ड हार्डिंग्स को मारने की कोशिश की गई
v रासबिहारी बोस और उनके साथियों ने विद्रोह करने की नई योजना बनाई,
v जिसका भेद खुलने पर बोस सहित सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
v बोस भागकर जापान चले गए।
v ब्रिटिश दमन नीति से क्रांतिकारी निराश हो गये।
v गिरफ्तारी से बचे नेता अमेरिका और सैन फ्रांसिसको आदि स्थानों पर चल गए।
v हरदयाल ने वहाँ 'गदर' नामक अखबार निकाला।
v आगे चलकर इस अखबार के नाम पर 'गदर पार्टी' बनी, जो पंचायती राज स्थापित करना चाहती थी।
नई क्रांतिकारी चेतना का प्रारम्भ
v ब्रिटिश सरकार - भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया जाएगा और उनके लिए कल्याणकारी कार्य किया जाएगा।
v अगस्त, 1917 की मांटेग्यू घोषणा से भी लोग संतुष्ट नहीं थे।
v रौलट अधिनियम लाकर लोगों को आग-बबूला कर दिया गया, जिससे आंदोलन शुरू हो गया।
v 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में जलियांवाला बाग का हत्याकांड हुआ।
v इसने राष्ट्रवादी भावना को अधिक तेज कर दिया।
v गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन और बहिष्कार आंदोलन शुरू कर दिया।
v चौरी-चौरा की घटना के बाद गाँधी जी ने आंदोलन स्थगित कर दिया,
v जिससे लोगों में निराशा छा गई, इसलिए क्रांतिकारी हिंसक मार्ग अपनाने के लिए विवश हो गए।
एच.आर.ए. (हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन) का जन्म
v गाँधीवाद विचारों में निराशा और प्रभावकारी बोल्शेविक क्रांति से प्रभावित होकर क्रांतिकारी समाजवाद की ओर अग्रसर हुए।
v इसका समर्थन युवा और वृद्ध दोनों क्रांतिकारियों ने किया।
v प्रथम विश्व युद्ध के श्रमिक संगठनों के उदय से उनके विचार और सुदृढ़ हो गये।
v उन्होंने समाजवाद को राष्ट्रवादी क्रांति के लिए उपयोगी समझा।
v इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए यू.पी., पंजाब के क्रांतिकारियों ने 1924 में H.R.A (एच. आर. ए.) की स्थापना की,
v जिसके द्वारा संघीय गणतंत्र की स्थापना करना चाहते थे।
v इसका उद्देश्य सार्वभौमिक मताधिकार की स्थापना और सामाजिक शोषण को खत्म करना था।
एच. आर. ए. की विचारधारा एवं कार्यक्रम
v यह संस्था निःस्वार्थ देशभक्ति, अस्पष्ट समाजवाद और अंतर्राष्ट्रीयतावाद का अनुसरण करती थी।
v इसकी विचारधारा का उल्लेख रिवोल्यूशनरी पार्टी के घोषणा पत्र में मिलता है।
v ये क्रांतिकारी कुछ विशिष्ट उच्च सामाजिक आदशों के प्रतिबद्ध थे।
v इनका अंतिम लक्ष्य विभिन्न देशों के हितों का आदर करना और विश्व सौहार्द लाना था और विभिन्न देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था।
v इसके क्रांतिकारियों ने पुराने क्रांतिकारियों के मार्ग का अनुसरण किया।
v वे विदेशी (औपनिवेशिक) ताकतों को उखाड़ना चाहते थे और इसके लिए सशस्त्र संघर्ष आवश्यक समझते थे।
काकोरी षड्यंत्र कांड
v H.R.A (एच. आर. ए.) का एक प्रमुख कार्य काकोरी ट्रेन डकैती कांड है।
v यह डकैती धन एकत्र करने के लिए की गयी थी।
v डकैती समूह में रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्लाह और चंद्रशेखर आदि शामिल थे।
v उन्होंने लखनऊ के निकट काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन से सरकारी खजाना लूट लिया।
v आगे चलकर इनको गिरफ्तार कर लिया गया और मुकदमा चलाकर कुछ को फाँसी दे दी गई।
एच. एस. आर. ए. ( हिंदुस्तान
सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन )का निर्माण और गतिविधियाँ
v काकोरी षड्यंत्र के बाद H.R.A (एच. आर. ए.) कमजोर और शक्तिहीन हो चुकी थी।
v पुराने क्रांतिकारी या तो जेल में थे या बचने के लिए भूमिगत हो चुके थे।
v ऐसे में क्रांतिकारियों ने एक नया संगठन बनाने का निश्चय किया।
v 9 सितम्बर, 1928 को फिरोजशाह कोटला, दिल्ली में बैठक के दौरान एक क्रांतिकारी कार्यक्रम से सभी सहमत हुए, उन्होंने एच. आर.ए. का नाम बदलकर H.S.R.A (एच. एस. आर. ए.) रख दिया।
v ये क्रांतिकारी समाजवादी गणतंत्र की स्थापना करना चाहते थे।
v इस संगठन का विचार था कि भारत की आजादी के लिए राजनीतिक स्वतंत्रता के साथ आर्थिक स्वतंत्रता भी आवश्यक है।
साइमन कमीशन और क्रांतिकारी
v क्रांतिकारी गतिविधियों बढ़ती जा रही थीं।
v ट्रेड यूनियन का विस्तार हो रहा था
v गर्म विचारधारा मजदूरों में प्रेरणा भर रही थी।
v ऐसे वातावरण में 3 फरवरी, 1928 को साइमन कमीशन बॉम्बे पहुँचा।
v इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे, कोई भारतीय नहीं था।
v भारतीयों ने इसका बहिष्कार करने का निर्णय किया।
v बॉम्बे में चारों और हड़ताल हुई
v लोगों ने 'साइमन वापस जाओ' के नारे ये कई स्थानों पर पुलिस और जनता के बीच मुठभेड़ हुई।
v क्रांतिकारियों ने अंग्रेज अधिकारियों की हत्या की योजनाएं बनाई।
v इसमें भगत सिंह, राजगुरु और आजाद आदि क्रांतिकारी शामिल थे।
असेम्बली बम धमाका
v एच. एस. आर. ए. के क्रांतिकारियों ने पब्लिक सेफ्टी बिल आदि के पारित होने पर असेंबली में बम फेकने की योजना बनाई।
v भगत सिंह और बी. के. दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को बम धमाका किया,
v जिससे उसके सदस्य अस्त-व्यस्त होकर भागने लगे।
v दोनों बम किसी को हानि पहुँचाये बिना फट गए परन्तु दोनों क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकद्दमा चलाया गया।
लाहौर षड्यंत्र कांड
v भगत सिंह को लाहौर ले जाया गया,
v उन पर जे. पी. सांडर्स की हत्या के आरोप में मुकदमा चलाया गया।
v लोगों ने जमकर सरकार का विरोध किया।
v भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दे दी गई,
चिटगांग शस्त्रागार छापा
· बंगाल में सूर्यसेन ने 1930 में चिटगांग शस्त्रागार पर छापा डालने की योजना बनाई।
· सूर्यसेन और उसके साथियों ने टेलीग्राम ऑफिस और टेलीफोन एक्सचेंज को कब्जे में ले लिया और कलकत्ता एवं ढाका से जुड़ने वाली संचार लाइनों को काट दिया गया, परन्तु धीरे-धीरे क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और सूर्यसेन को मौत की सजा दी गई और अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
Part-2 क्रांतिकारी प्रवृत्तियाँ
1920 के दशक के उत्तरार्द्ध तथा 1930 के दशक के पूर्वार्द्ध के दौरान क्रांतिकारियों की विचारधारा और गतिविधियों की चर्चा
1. 1920 के दशक के उत्तरार्द्ध में भारी आर्थिक मंदी से वस्तुओं के दाम आसमान छूने लगे थे,
2. जिससे श्रमिकों का जीवन कष्टमय हो गया।
3. ऐसी परिस्थिति में भारत में बोल्शेविक से कई मजदूर संघ बने,
4. जिसका पृथक पृथक साम्यवादी झुकाव था।
5. इसके अलावा 1926 और 1929 में युवा आंदोलन हुए,
6. जिनमें पूर्ण स्वतंत्रता तथा पूर्ण सामाजिक तथा आर्थिक परिवर्तनों की मांग रखी गई।
7. पं. जवाहरलाल नेहरू तथा सुभाषचंद्र बोस दोनों ने पूर्ण आजादी के लक्ष्य की स्वीकृति हेतु अभियान को आगे ले जाने के लिए कांग्रेस के अंदर दबाव के गुट के रूप में 'इंडिपेडेस ऑफ इंडिया लीग' को आगे बढ़ाया।
8. इस समय की गतिविधियों के संबंध में लिखा है, - "1928 का वर्ष राजनीतिक रूप से आप्लावित वर्ष था
9. जिसमें पूरे देश में ढेर सारी गतिविधियाँ हुईं।
10. "ट्रेड यूनियन आंदोलन स्वयं को आगे बढ़ा रहा था
11. इसकी उग्र विचारधारा मजदूरों के बीच वर्ग चेतना को बढ़ा रही थी।
12. 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन बॉम्बे पहुँचा।
13. इसके सभी सदस्य अंग्रेज थे।
14. यह भारत की राजनीतिक स्थिति की रिपोर्ट करने तथा समीक्षा करने के लिए नियुक्त किया गया था।
15. इस आयोग में कोई भी भारतीय सदस्य नहीं था, जिसे देश के सभी राजनीतिक दलों ने राष्ट्रीय गरिमा का अपमान माना।
16. देश के बड़े भाग ने एक मत से इसका बहिष्कार करने का निर्णय किया।
17. बॉम्बे में इस आयोग का स्वागत हड़ताल से हुआ और 'साइमन वापस जाओ' के नारे लगे।
18. कई स्थानों पर पुलिस और जनता के बीच झड़प हुई।
19. लाहौर में साइमन कमीशन विरोधी प्रदर्शन का नेतृत्व लाला लाजपत राय ने किया।
20. यहाँ वे पुलिस के डंडे से घायल होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
21. फलस्वरूप देश में आक्रोश फैल गया।
22. एच. एस. आर. ए. ने निर्णय लिया कि वह स्कॉट नामक उस व्यक्ति की हत्या कर देगा,
23. जो प्रमुख पुलिस कार्यकारी था और घटनास्थल पर मौजूद था।
24. इसके बाद डिप्टी सांडर्स की 17 दिसम्बर, 1928 के दिन हत्या कर दी गई,
25. जिसमें राजगुरु, भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद शामिल थे।
26. एच.एस.आर.ए. के लोगों द्वारा अंग्रेजी लिखी लाल पर्चियाँ बाँटी जिनमें लिखा था, "नौकरशाही को सतर्क किया जाता है।
27. लाला लाजपत राय की हत्या का प्रतिरोध जे.पी. सांडर्स की हत्या से लिया गया है।
28. "एच.एस.आर.ए. ने गवर्नर जनरल के विशेष कड़े कदम से पब्लिक सेफ्टी बिल तथ ट्रेड डिस्प्यूट बिल पारित करने पर असेंबली हॉल में बम फेंकने की योजना बनाई।
29. वे यह दिखाना चाहते थे कि यदि - सरकार बहुमत की आवाज की उपेक्षा कर सकती है और गवर्नर जनरल की सख्तियों का सहारा लेकर अधिनियम पारित करा सकती है, तो एच. एस. आर. ए. भी उन्हें उसी भाषा में जवाब दे सकता है।
30. ये अधिनियम मजदूरों और क्रांतिकारियों द्वारा सत्ता प्रतिष्ठान के विरुद्ध छेड़े गए संघर्ष का दमन करने के लिए लाए गए थे।
31. 8 अप्रैल 1929 को असेंबली में भगत सिंह और बी.के. दत्त ने बम फेंका।
32. बम के धमाके से पूरा असेंबली भवन हिल गया।
33. वे दोनों घटनास्थल पर ही खड़े रहे।
34. फलस्वरूप वे गिरफ्तार कर लिखे गए और उन पर मुकदमा चलाया गया
35. उन्हें 12 जून, 1929 को आजीवन कारावास की सजा दी गई।
36. जे.पी. सांडर्स की हत्या के आरोप में लाहौर षड्यंत्र कांड में मुकदमा चलाया गया, जो दो वर्ष चला।
37. सामान्य लोगों ने सभी राजनीतिक कैदियों के रहने के लिए विभिन्न सुविधाओं की मांग की गई।
38. अंततः 23 मार्च 1931 को सतलुज नदी के किनारे भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी दे दी गई तथापि सभी क्रांतिकारी जनता में अमर हो गये।
39. लाहौर षड्यंत्र के समय बंगाल में सूर्यसेन ने एक क्रांतिकारी कार्यवाही की योजना बनाई,
40. जो चिटगांग शस्त्रागार छापे के नाम से प्रसिद्ध है।
41. 1930 में सूर्यसेन के नेतृत्व में टेलीग्राम आफिस और टेलीफोन एक्सचेंज पर कब्जा किया गया
42. कलकत्ता और ढाका से जुड़ने वाली सभी संचार लाइनों को काट दिया गया।
43. फलस्वरूप 1933 में सूर्यसेन को गिरफ्तार कर लिया गया।
44. शस्त्रागार छापा कांड में सूर्यसेन और दस्तीदार को मौत की सजा सुनाई गई, जबकि अन्य को आजीवन कारावास दिया गया।
45. 12 जनवरी 1934 को फाँसी दे दी गई। उनका अंतिम संदेश था - " आदर्श और एकता" तथा " एक स्वर्णिम स्वप्न... स्वतंत्र भारत का स्वप्न"
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By Vishwajeet Singh