पारंपरिक चीनी इतिहास-लेखन
कन्फ्यूशियसवाद प्राचीन इतिहास लेखन
Ø कन्फ्यूशियसवाद, चीन के महान दार्शनिक, राजनीतिज्ञ और शिक्षक
Ø कन्फ्यूशियस के सामाजिक, दार्शनिक और राजनीतिक विचारों पर आधारित एक धर्म है
Ø कन्फ्यूशियस का जन्म ईसा से 500 साल पहले हुआ था,
Ø कन्फ्यूशियसवाद में सद्व्यवहार, सदाचार और शिष्टाचार के नियमों पर अधिक बल दिया गया है,
Ø कन्फ्यूशियस ने चीन के समाज में फैली कुरीतियों एवं बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया.
Ø कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों को सत्य, प्रेम और न्याय का संदेश दिया,
Ø वे सदाचार पर अधिक बल देते थे
Ø और लोगों को विनयी, परोपकारी, गुणी और चरित्रवान् बनने की प्रेरणा देते थे
Ø कन्फ्यूशियसवादी विचारधारा ने पारंपरिक इतिहास लेखन के कई पहलुओं को प्रभावित किया।
Ø कन्फयूशियसवाद - यद्यपि धर्म नहीं था,
Ø इसने चीनी लोगों के आध्यात्मिक और बौद्धिक परंपराओं तथा उस समय के समाज व राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला।
Ø कन्फ्यूशियसवाद के अनुसार इतिहास में मानवतावाद को महत्त्व दिया गया है।
Ø इतिहासकार ली - इतिहास का मुख्य केंद्र बिंदु ईश्वर व दैवी शक्ति न होकर मनुष्य की गतिविधियों का अध्ययन करना है।
Ø अतः अध्ययन का मुख्य विषय मनुष्य है।
Ø इतिहास में मनुष्य के रहन-सहन, पृथ्वी में उसका उद्भव, उसका खानपान, व्यापार, उसका धर्म आदि का अध्ययन करने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
Ø मनुष्य के विषय में कन्फ्यूशियसवाद - उसमें इतिहास लेखन को प्रभावित करते हुए चीनी इतिहासकारों को मनुष्य की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया गया
Ø इतिहासकारों ने उससे प्रेरित होकर लेखन कार्य किया।
Ø चीन में कन्फ्यूशियसवाद से भी पहले अपने अतीत के प्रति सम्मान का प्रचलन था,
Ø परंतु कन्फ्यूशियसवाद ने इस परंपरा को एक नया आधार दिया।
Ø ली - ने चीन के समाज व राजनीति में बढ़ती हुई अराजकता और अव्यवस्था को देखा
Ø ली - यह महसूस किया कि तत्कालीन चीन की अपेक्षा अतीत का चीन ज्यादा उत्तम था।
Ø अतः कन्फ्यूशियसवाद के अनुसार इतिहास सिर्फ प्राचीन समय की जानकारी से मानव को मात्र अवगत नहीं कराता
Ø बल्कि अतीत के अध्ययन के द्वारा वर्तमान में बहुत कुछ शिक्षा भी देता है।
Ø अतः चीनी इतिहास लेखन ने भी इसी तरह वर्तमान शासकों और अधिकारियों को मार्गदर्शन देने का काम किया।
Ø शासकों के कार्य - यदि किसी शासनकाल में विदेशी आक्रमण हो या फिर आंतरिक अशांति या कोई भयानक बीमारी फैल जाए तो ऐसे समय में अतीत से शिक्षा लेनी चाहिए
Ø उसके पूर्व प्रशासकों के शासनकाल में इन समस्याओं से निबटने के लिए उन्होंने क्या किया।
Ø अतीत के शासकों की ईमानदारी, वीरता, कर्तव्यनिष्ठा जैसे अनेक एसे गुण थे जिनसे हमें सीखने को मिलता है।
Ø इतिहासकारों ने अपने लेखन में इसी सिद्धान्त को अपनाया।
Ø कोई सम्राट या राजशाही कैसे भी सत्ता में आई हो, परन्तु उन्हें हर वक्त कन्फ्यूशियसवाद के कुछ व्यवस्थित नियमों का पालन करना आवश्यक था।
Ø इतिहासकारों को इस तरह का लेखन करना पड़ता था, जिससे कि वर्तमान शासकों की प्रतिष्ठा बढ़े।
Ø कन्फ्यूशियसवाद के अनुसार - समाज के कल्याण और समाज में व्यवस्था बनाए रखने के लिए नैतिकता आवश्यक है।
Ø यद्यपि मनुष्य स्वभाव से ही अच्छे होते हैं, परन्तु उन्हें शिक्षा के जरिए उनके सही गुणों को विकसित करने की आवश्यकता होती है, जिससे वे सही-गलत का फैसला कर सकें।
Ø अतः नैतिकता का सिद्धान्त जो कन्फ्यूशियसवाद के अनुसार दिया गया
Ø उसका प्रभाव वर्तमान में सत्ता में कार्य कर रहे शासकों पर पड़ा
Ø और इतिहास लेखन में नैतिकता पर बल दिया गया।
Ø कन्फयूशियसवाद मनुष्य के साथ-साथ समाज की अनेक व्यवस्थाओं के विषय में भी चिंता व्यक्त करते हुए कहता है
Ø - कि मनुष्य के साथ समाज के अन्य पहलुओं पर भी लेखन किया जाना आवश्यक है।
Ø अतः कन्फ्यूशियसवाद के इन सिद्धान्तों को पारंपरिकतावाद के सभी इतिहासकारों ने अपने लेखन में अपनाया है, जो कि चीनी इतिहास लेखन में देखने को मिलता है।
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By Vishwajeet Singh

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