MHI-09 || Lesson - 9 || युद्ध अवधि के दौरान राष्ट्रवादी राजनीति Part-3 || The E Nub ||

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युद्ध अवधि के दौरान राष्ट्रवादी राजनीति Part-3




लखनऊ समझौता उसके महत्त्व

 लखनऊ समझौते (Lucknow Pac) की परिस्थितियाँ एवं घटनाएं-

Ø  अधिवेशन में राष्ट्रवादियों की फूट के कारण - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का विभाजन 1907

Ø  आपसी फूट से उन्हीं के उद्देश्य (देश की स्वतंत्रता) को हानि हो रही थी,

Ø  उन्होंने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध एकजुट होने का निर्णय किया।

Ø  देश में बढ़ रही राष्ट्रवादी भावना एवं राष्ट्रीय एकता की आकांक्षा के कारण 1916 . में दो घटनाएं हुई-

 


1. प्रथम घटना लगभग 9 वर्षों के बाद - कांग्रेस के दोनों गुटों नरमपंथी तथा गरमपंथ में एकता स्थापित होना है।

Ø  इस एकता के लिए स्वयं तिलक ने महत्त्वपूर्ण पहल की।

Ø  इस फूट के कारण कांग्रेस की निष्क्रियता बढ़ रही है।

Ø  1914 में बाल गंगाधर तिलक जैसे ही अपने 6 वर्षों के लम्बे कारावास से मुक्त हुए, तभी से वे इस दिशा में आगे बढ़े।

Ø  नरमपंथियों को राजी करने के लिए उन्होंने घोषणा की, - “मैं हमेशा-हमेशा के लिए यह बात कह दूँ कि जैसा कि आयरलैंड में आयरिश होमरूल की मांग कर रहे हैं,

Ø  हम भी भारत में शासन प्रणाली में सुधार के लिए प्रयास कर रहे हैं, कि सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए।

Ø  तिलक ने देश में हो रही हिंसात्मक घटनाओं के प्रति दुःख जताया।

Ø  उन्होंने आगे कहा, - “मुझे कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश के विभिन्न भागों में हिंसा के जो कार्य किए गए हैं, वे केवल मुझे अरुचिकर हैं अपितु मेरी राय में उन्होंने दुर्भाग्य से हमारी राजनीतिक प्रगति की गति को भी पर्याप्त सीमा तक धीमा किया है।

Ø  1907 के बाद 1916 . का लखनऊ अधिवेशन सारी कांग्रेस की एकता का प्रथम अधिवेशन था।

 

2. दूसरी महत्त्वपूर्ण घटना थी- कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता।

Ø  इस समझौते को कार्यान्वित कराने में मोहम्मद अली जिन्ना तथा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सर्वाधिक एवं सक्रिय भूमिका निभाई।

Ø  दोनों राजनीतिक दलों ने अपने भेदभाव भुलाकर ब्रिटिश सरकार के समक्ष समान राजनीतिक मांगें रखने का निर्णय किया।

Ø  इस समझौते को इतिहास में 'लखनऊ समझौता' कहा जाता है।

 

मुस्लिम लीग के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समीप आने के कई कारण -

Ø  1912-13 के बाल्कन युद्ध में ब्रिटेन ने तुर्की की सहायता से इनकार कर दिया।

Ø  इस युद्ध के कारण यूरोप में तुर्की की शक्ति क्षीण हो गई

Ø  इस समय तुर्की के शासक का दावा था कि - वह सभी मुसलमानों काखलीफाहै।

Ø  भारतीय मुसलमानों की सहानुभूति तुर्की के साथ थी।

Ø  ब्रिटेन द्वारा युद्ध में तुर्की को सहयोग दिये जाने से भारतीय मुसलमान रुष्ट हो गए।

Ø  परिणामस्वरूपलीगने कांग्रेस से सहयोग करने का निश्चय किया, जो ब्रिटेन के विरूद्ध स्वतंत्रता आंदोलन चला रही थी।

Ø  ब्रिटिश सरकार द्वारा अलीगढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना करने एवं उसे सरकारी सहायता देने से इनकार करने पर शिक्षित मुसलमान रूष्ट हो गए थे।

Ø  1905 के बंगाल विभाजन को रद्द करने से उन मुसलमानों को घोर निराशा हुई

Ø  मुस्लिम लीग के तरूण समर्थक धीरे-धीरे सशक्त राष्ट्रवादी राजनीति की ओर उन्मुख हो रहे थे

Ø  उन्होंने अलीगढ़ स्कूल के सिद्धांतों को उभारने का प्रयत्न किया।

Ø  1912 में लीग का अधिवेशन कलकत्ता में हुआ।

Ø  इससे कांग्रेस लीग दोनों कीस्वशासनकी मांग समान हो गई, जिससे उन्हें पास आने में सहायता मिली। 

Ø  प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान सरकार की दमनकारी नीतियों से युवा मुसलमानों में भय का वातावरण व्याप्त हो गया था।

Ø  जहाँ मौलाना अबुल कलाम आजाद के पत्रअल हिलालतथा मोहम्मद अली के पत्रकामरेडको सरकारी दमन का सामना करना पड़ा;

Ø  वहीं दूसरी ओर अली बंधुओं, मौलाना आजाद तथा हसरत मोहानी को नजरबंद कर दिया गया

Ø  सरकार की इन नीतियों से युवा मुसलमानों विशेषकर लीग के युवा सदस्यों में साम्राज्यवाद विरोधी भावनाएँ जागृत हो गई

Ø  वे उपनिवेशी शासन को समूल नष्ट करने के अवसर तलाशने लगे।

 

लखनऊ समझौते की मुख्य बातें

   i.            मुस्लिम लीग ने भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भाँति देश को उत्तरदायित्वपूर्ण स्वराज्य देने की मांग को स्वीकार किया 

 ii.            दोनों दलों ब्रिटिश सरकार से स्वराज्य की मांग की।

iii.            कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की मुसलमानों के पृथक निर्वाचन व्यवस्था की मांग को स्वीकार कर लिया।

iv.            वस्तुतः ब्रिटिश सरकार ने हिन्दू-मुसलमानों में फूट डालने के लिए 1909 के एक्ट पृथक निर्वाचन मण्डल की व्यवस्था की।

 v.            विभिन्न प्रान्तों की विधान सभाओं में लिए पृथक रूप से कुछ स्थान आरक्षित कर लिए गए। 

vi.            केन्द्रीय विधायिका में कुछ निर्वाचित भारतीय सदस्यों

vii.            देश का 1/9 भाग मुसलमानों को दे दिया गया,

viii.            जिसका निर्वाचन साम्प्रदायिक चुनाव प्रणाली द्वारा होना स्वीकार कर लिया गया।

 

लखनऊ समझौते का महत्त्व

v  भारतीय इतिहास में लखनऊ समझौते को एक ऐतिहासिक एवं अत्यधिक महत्त्वपूर्ण घटना माना जाता है, क्योंकि- 

1. यह समझौता हिन्दू-मुस्लिम जनता की एकता को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम था।

2. इस समझौते से कांग्रेस से दूर रहने वाली मुस्लिम लीग उसके नजदीक गई

3. दोनों दलों में कई वर्षों तक राजनीतिक एकता बनी रही।

4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग दोनों ने अपने अधिवेशन में एक ही प्रस्ताव पास किया

v  अलग-अलग चुनाव मंडलों के आधार पर राजनीतिक सुधारों की एक साझी योजना ब्रिटिश सरकार के समक्ष रखी

v  मांग की कि सरकार भारत को स्वशासन देने की यथाशीघ्र घोषणा करे।

v  लखनऊ समझौते का एक नकारात्मक पहलू था - धर्म के आधार पर पृथक-पृथक निर्वाचन मण्डलों की मांग मान लेना।

v  निःसंदेह आगे चलकर सांप्रदायिकता को बल मिला

v  राष्ट्रवादी आंदोलन में कई बार सांप्रदायिक दंगे हुए

v  सांप्रदायिकता ने अंततः 14 अगस्त 1947 . को देश का बंटवारा किया।


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By Vishwajeet Singh

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