महत्त्वपूर्ण मोड़ (The
Turning Point)
रौलट सत्याग्रह की पृष्ठभूमि
· रौलट एक्ट - किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार किया जा सकता था।
· रौलट एक्ट के विरुद्ध मार्च 1919 में गाँधी ने अपना प्रथम अखिल भारतीय सत्याग्रह शुरू किया।
· प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् जनता आशा कर रही थी कि सरकार शासन में कुछ सुधार करेगी।
· 1919 के सुधार अधिनियम से जनता संतुष्ट नहीं हुई, - सुधार की प्रकृति सीमित
· बंगाल, महाराष्ट्र और पंजाब में आजादी के लिए हिंसक संघर्ष
· ब्रिटिश सरकार द्वारा इन क्रांतिकारी गतिविधियों का दमन तथा शक्ति का प्रयोग
· सिडनी रौलट की अध्यक्षता में रौलट कमेटी बनाई गई,
· जिसने दो ड्राफ्ट विधेयक तैयार किये।
· इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के भारतीय सदस्यों ने इसका विरोध किया।
· रौलट एक्ट ने सरकार को यह अधिकार दे दिया कि वह क्रांतिकारी अपराधियों को दण्ड दे सकती है।
· गाँधी - रौलट एक्ट के विरोधी थे और इसे जनता के लिए चुनौती तथा इसे लोगों के जनतांत्रिक अधिकारों के विरुद्ध माना
· रौलट एक्ट की अवज्ञा के लिए उन्होंने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करवाये
· एक खुले पत्र में जनता से एक्ट के विरुद्ध शुरू किए गए सत्याग्रह में शामिल होने की अपील की।
सत्याग्रह का आयोजन
· भारत में विभिन्न नेताओं से मिलकर गाँधी अपना सम्पर्क बढ़ा चुके थे।
· भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस या अन्य संगठन पर उनका नियंत्रण नहीं था।
· सत्याग्रह ने उन्हें लोकप्रिय नेता बना दिया।
· होमरूल लीगों और मुस्लिम संघों ने उन्हें समर्थन दिया।
· मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों की अपर्याप्तता से भारतीय युवा वर्ग भी क्रुद्ध था।
· होमरूल लीग के सदस्यों ने पचों और पोस्टर के माध्यम लोगों को रौलट एक्ट की जानकारी दी।
· प्रमुख समाचार पत्रों ने भी इसके विरोध में लेख लिखे, जिससे जनमत लामबंद होने लगा।
· दिल्ली, इलाहाबाद और गुजरात आदि में सत्याग्रह समितियाँ बनाई गईं।
· राजेन्द्र प्रसाद, जे.बी. कृपलानी, जवाहर लाल नेहरू, डॉ. सत्यपाल, हसन इमाम आदि ने भी सत्याग्रह आंदोलन में अपने को समर्पित कर दिया।
· गाँधी ने सत्याग्रह सभाओं की स्थापना, प्रभुत्व जन समर्थन जुटाने और अहिंसा में जागरूकता बढ़ाने के लिए देश के विभिन्न भागों का दौरा किया।
· 6 अप्रैल 1919 को सम्पूर्ण देश में हड़ताल का आयोजन
· 9 अप्रैल को गाँधी को गिरफ्तार कर लिया गया।
· फिर भी आंदोलन व्यापक पैमाने पर हुआ और इसने हिंसात्मक मोड़ ले लिया।
· इस आंदोलन ने जनसमूह में आशा से अधिक उत्साह पैदा किया।
सत्याग्रह का क्षेत्रीय प्रसार
· सत्याग्रह आंदोलन - जाति, वर्ग या समुदाय को ध्यान दिए बिना भारी संख्या में लोग शामिल हुए।
· 1857 के विद्रोह के पश्चात् सर्वाधिक बड़ी हिंसक विरोधी लहर के रूप में देखा गया।
· सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र दिल्ली, लाहौर, अमृतसर और गुजरात आदि रहे।
· गाँधी द्वारा - विशाल जनसमूह को संबोधित और सत्याग्रह सभा की स्थापना
· 30 मार्च को दिल्ली में रौलट कानून के विरुद्ध हड़ताल रखी गई।
· उस दिन जनसभा के दौरान दंगे और पुलिस फायरिंग हुई।
· हिंसा की वजह से गाँधी ने स्वयंसेवकों को 6 अप्रैल की हड़ताल में शामिल होने से मना किया
· गाँधी 9 अप्रैल को आने वाले थे, परन्तु रास्ते में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया,
· तब मोहम्मद अब्दुल रहमान के नेतृत्व में विशाल जनसभा हुई।
· 13 अप्रैल को रेलवे तथा बैंक के कर्मचारियों ने हड़ताल की और 17 अप्रैल को चांदनी चौक में फायरिंग हुई।
· ब्रिटिश सरकार के विरोध में भी अमृतसर में भी अनेक घटना हुई।
· पंजाब में सिक्खों का असंतोष चरम सीमा पर था।
· 6 अप्रैल 1919 को अमृतसर में रौलट एक्ट के विरोध भीषण हड़ताल हुई।
· कई स्थानीय नेताओं - किचलू और सत्यपाल के निर्वासन तथा पंजाब में गाँधी के प्रवेश पर रोक लगाने से लोग और अधिक भड़क गए।
· इसके विरुद्ध मार्च निकाला गया और पुलिस द्वारा फायरिंग होने पर लोगों ने सरकारी संस्थानों पर आक्रमण कर दिया।
· घटनाओं पर नियंत्रण रखने के लिए डायर ने मार्शल ला लगा दिया।
· 13 April 1919 - अनजाने में गाँव से किसान वैशाली के दिन स्वर्ण मंदिर आये और उस दिन उसके पास स्थित जलियांवाला बाग में जनता की एक जनसभा हुई।
· जनरल डायर ने बिना चेतावनी के भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दे दिया,
· जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए और घायल हुए।
· अगले दिन पंजाब के अन्य शहरों में भी मार्शल लॉ लगा दिया गया।
· अमृतसर की घटना की याद में वहाँ स्मारक बनाया गया और जनरल डायर को हटाने की माँग की गई।
· अहमदाबाद में भी रौलट एक्ट के विरुद्ध आंदोलन हुआ।
· यहाँ एक जनसभा में 6 अप्रैल को शोक दिवस के रूप में मनाने की तैयारी की गई,
· परन्तु गाँधी की गिरफ्तारी के बाद किसानों, मजदूरों और जनता ने सड़कों पर उत्पात मचाया।
· इसके विरुद्ध पुलिस ने फायरिंग का सहारा लिया।
· सरदार बल्लभ भाई पटेल, इंदुलाल आदि के शांति की अपील के बाद भी उपद्रव चलता रहा।
· 13 अप्रैल को गाँधी ने सरकार से अनुमति लेकर जनसभा का आयोजन किया और लोगों को उपवास रखने और अपराध स्वीकार करने के लिए कहा।
· बिहार, बॉम्बे, कलकत्ता और मद्रास में भी हड़तालें हुईं और दुकानें बंद हुईं।
· गाँधी को रिहा करने के लिए नाखुदा मस्जिद पर हिन्दू और मुसलमानों का जमावड़ा हुआ।
· अंतत: गाँधी ने सत्याग्रहियों को सुझाव दिया कि वे अस्थायी सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद कर दें और सत्याग्रह के मूलभूत सिद्धांतों से मजबूती से जुड़े रहें और हिंसा का कोई कार्य न करे।
· असफलता के बाद भी रौलट सत्याग्रह इतिहास में नये मोड़ के रूप में स्वीकार किया जाता है।