MHI-09 Lesson - 12, खिलाफत और असहयोग आंदोलन-Part - 01 || The E Nub ||

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 खिलाफत और असहयोग आंदोलन -Part - 01



खिलाफत आंदोलन की प्रकृति

·       खिलाफत आन्दोलन  - (मार्च 1919-जनवरी 1921) 

·       ब्रिटिश शासन के विरुद्ध उत्पन्न जन आक्रोश खिलाफत आंदोलन के रूप में व्यक्त हुआ,

·       जिसमें सबसे पहले मुसलमानों ने तथा बाद में देश के अन्य सभी धर्मावलम्बियों ने भाग लिया।

·       खिलाफत भारतीय मुस्लिम - अखिल इस्लामिक तथा भारतीय राष्ट्रवादी प्रवृत्तियों को साथ लाने की कोशिश की।

·       1911-13 में बाल्कन युद्धों - मुस्लिम नेताओं के मन में ब्रिटेन सहित ईसाई शक्तियों द्वारा ऑटोमन साम्राज्य और खलीफा को कुचलने की कोशिश करने का शक पैदा कर दिया।

·       प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ब्रिटेन के विरुद्ध लड़ा था।

·       युद्ध के बाद पराजित आटोमन तुर्की को ब्रिटेन के अत्याचारों का शिकार होना पड़ा।

·       ब्रिटेन ने उससे अनेक उपनिवेश छीन लिए।

·       तुर्की साम्राज्य पर शांति समझौते की कठोर शर्ते लाद दी गयीं।

·       युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में एक भारी रकम भी उस पर थोप दी गई।

·       उसकी सामुद्रिक संधियों को भी रद्द कर दिया गया।

·       मार्च 1919 में बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन

·       यह आंदोलन सन् 1919 में लखनऊ से शुरू हुआ था

·       मुहम्मद अली एवं शौकत अली (अलीबन्धु) अबुल कलाम आजाद, हसरत मोहानी आदि के नेतृत्व में आंदोलन चलाया।

·       खिलाफत का उद्देश्य - तुर्की में खलीफा पद की पुन: स्थापना

·       ब्रिटिश सरकार को शत्रु घोषित कर दिया।

·       खिलाफत की जनसभाओं में हजारों लोग शामिल हुए

·       आंदोलन को सुचारु रूप से चलाने के दो अखिल भारतीय निकायों का गठन किया

·       ऑल इंडिया खिलाफत कमेटी और जमीयत-अल-उलेमा ए हिंद

·       ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष तब तक सफल नहीं हो सकता, जब तक कि गैर मुस्लिम भारतीयों को एक विस्तृत साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष हेतु लामबंद न किया जाए।

·       स्वशासन के लिए कांग्रेस भी खिलाफत आंदोलन को अपने पक्ष में करना चाहती थी।

·       गाँधी ने खिलाफत से जुड़े मुद्दे को स्वशासन से जोड़ने की कोशिश की।

·       उन्होंने घोषित किया कि मुसलमानों के मुद्दों के उचित समाधान में स्वराज्य की अनुभूति छुपी है।

·       उनका यह प्रयास हिन्दू-मुस्लिम एकता कायम करने सफल हुआ,

·       मोपला मुसलमानों की कट्टरता - जिसने 10,000 हिंदुओं के नरसंहार, सैंकड़ों हिंदू महिलाओं के बलात्कार और हिंदू मंदिरों के विध्वंस को अंजाम दिया।

·       मालाबार नरसंहार के दौरान मोपला मुस्लिम अंधाधुंध हिंदुओं को मार रहे थे वो भी बेहद बर्बर ढंग से।

·       एक वाकया है जिसके अनुसार - 25 सितंबर 1921 को 38 हिंदुओं का बेरहमी से सिर कलम किया गया था और उनकी खोपड़ी कुएँ में फेंक दी गई थी।

·       ये बात दस्तावेजों में भी दर्ज है कि जब मालाबार के तत्कालीन जिलाधिकारी इलाके में गए तो कई हिंदू कुएँ से मदद के लिए गुहार लगा रहे थे।

·       मालाबार अकेला ऐसा नरसंहार नहीं था जब हिंदुओं को मौत के घाट उतारा गया।

·       तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर दीवान बहादुर सी गोपालन नायर ने अपनी पुस्तक में सांप्रदायिक संघर्ष की 50 से अधिक ऐसी घटनाओं का दस्तावेजीकरण किया है, जब मालाबार के मुसलमानों ने हिंदुओं पर अत्याचार किए थे।

·       मोहनदास करमचंद गाँधी  - ( निर्विवाद समर्थन ) मुसलमानों को ‘राष्ट्रवादियों’ में बदल देगा, जिसके परिणामस्वरूप वे हिंदुओं के साथ ब्रिटिश साम्राज्य से लड़ेंगे।

 


आंदोलनों के कारण

1.     सरकार के क्रूरतापूर्ण कार्य

2.     रॉलेट एक्ट (Rowlatt Act),

3.     पंजाब में मार्शल लॉ लागू करने

4.     जलियांवाला बाग हत्याकांड (Jallianwala Bagh Massacre)

5.     गठित हंटर आयोग (Hunter Commission) की पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट

6.     हाउस ऑफ लॉर्ड्स (ब्रिटिश संसद के) में जलियांवाला बाग हत्याकांड को लेकर जनरल डायर की कार्रवाई को उचित ठराया जाना।

7.     असंतुष्ट भारतीय:  मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (Montagu-Chelmsford Reforms)

8.     आर्थिक कठिनाइयाँ - वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि,

9.     भारतीय उद्योगों के उत्पादन में कमी, करों और किराये के बोझ में वृद्धि आदि

 

·       इलाहाबाद में 1-2 जून 1920 को कांग्रेस सदस्यों के साथ आयोजित एक बैठक में ब्रिटिश सरकार के प्रति असहयोग कार्यक्रम की शुरुआत का निर्णय लिया गया,

(i) सरकार द्वारा उपाधियों का त्याग।

(ii) सेना और पुलिस सहित सभी प्रकार की सरकारी नौकरियों से इस्तीफा और करों का भुगतान न करना।

·       इस प्रकार खिलाफत आंदोलन आगे चलकर असहयोग आंदोलन बन गया।

·       गाँधी और शौकत अली ने असहयोग के उद्देश्य के लिए जनता का समर्थन प्राप्त करने के लिए सम्पूर्ण देश में साथ-साथ दौरा किया।

·       खिलाफत के अन्य नेताओं ने भी ऐसा ही प्रयास किया था।


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By Vishwajeet Singh

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