MA History || MHI-03 || Lesson – 8 ( मध्यकालीन इतिहास-लेखन : पश्चिमी ) Part-1 || THE E NUB ||

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Lesson – 8 ( मध्यकालीन इतिहास-लेखन : पश्चिमी ) Part-1




1.    ईसाई इतिहास-लेखन

2.    मध्ययुगीन यूरोप में कुछ महत्त्वपूर्ण इतिहासकारों और उनके कार्यों


ईसाई इतिहास-लेखन

q  ईसाई इतिहास लेखन का मुख्य उद्देश्य सार्वभौमिक व विस्तृत रूप से ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमानुसार लिपिबद्ध करना था।

q  ईसाई इतिहासकार - बाइबिल इतिहास को जो कालक्रम के अनुसार क्रमबद्ध नहीं था,

q  उसे कालक्रम के अनुसार प्राचीन इतिहास से जोड़ना चाहते थे,

q  जिससे ईसा पूर्व का एक वृहद इतिहास उपलब्ध हो सके।

q  ईसाई इतिहासलेखन को चर्च इतिहासलेखन के नाम से भी जाना जाता है

q  ईसाई धर्म के मुताबिक, ब्रह्मांड में होने वाली हर घटना के पीछे ईश्वर की इच्छा होती है

q  ईसाई इतिहासलेखन की परंपरा में घटनाओं को उस रूप में नहीं देखा गया, जिस रूप में वो घटित हुईं

q  बल्कि उन घटनाओं को एक दैवीय आवरण पहना कर उन्हें ईश्वरीय इच्छा के रूप में प्रस्तुत किया गया

q  ईसाई इतिहासलेखन के पहले लेखक सेक्स्टस जूलियस अफ़्रीकनस थे

q  उनकी 5 खंडों की पुस्तक 'क्रोनोग्राफ़िया' को तिथि-क्रमानुसार वृतांत की पहली रचना माना जा सकता है

q  एफ़्रीकनस का यह विश्वास था कि यीशू मसीह के 500 वर्ष बाद ही संसार का विनाश हो जाएगा

q  ईसाई इतिहासलेखन में यीशू मसीह और बाइबल की अहम भूमिका है

q  ईसाई इतिहास लेखन में तथ्यों के सही विभाजन, सतत क्रमबद्धता, दिन, काल आदि से जुड़े तथ्यों को भी शामिल किया गया

q  कई इतिहासकार जिनमें एकहार्ट, आटो ऑफ फेसिंग ने धार्मिक संकल्पना को स्वीकार किया है,

q  और ईसा मसीह के जीवन को अपनी रचनाओं में केंद्रीय महत्त्व दिया है।



ईसाई इतिहास लेखन

q  ईसाई इतिहासकारों ने लगभग सभी क्षेत्रों में इतिहास लेखन किया।

q  ईसाई इतिहासकारों का मुख्य उद्देश्य इस समय समस्त ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमानुसार लिपिबद्ध करना था।

q  इतिहासकारों ने ईसा मसीह के जीवन को भी अपनी रचनाओं में महत्वपूर्ण स्थान देते हुए अधिकांश इतिहास लेखन उनके इर्द-गिर्द किया है।

q  इतिहासकारों ने अपने लेखन में - ईसा मसीह को केंद्रीय स्थान प्रदान किया है।

q  प्रारंभिक ईसाई इतिहासकारों द्वारा जो भी लेखन कार्य हुआ वह धार्मिक था।

q  धारणा - जो घटनाएँ घटित होती हैं 'वे मानवीय क्रियाओं का परिणाम न होकर दैवी इच्छा का परिणाम होती हैं।

q  मध्यकालीन इतिहास लेखन पर यूनानी और रोमन परंपरा का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

q  मध्यकालीन इतिहासकारों द्वारा इतिहास को ईश्वर कृत या ईश्वर की रचना के रूप में स्वीकार किया गया है

q  और इतिहासकारों का यह सोचना था कि जो ऐतिहासिक घटनाएँ घटित होती हैं वे पूर्व निर्धारित हैं।

q  इसके अलावा उन घटनाओं में मनुष्य के हस्तक्षेप से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,

q  क्योंकि यदि मनुष्य इसे बदलना या रोकना भी चाहे तो यह असंभव है।

q  यदि मनुष्य इसके विरुद्ध भी जाता है - तो इसका अर्थ यही होगा कि वह इतिहास लेखन के विकास में कोई योगदान देना नहीं चाहता है।

q  मध्ययुग में पादरियों द्वारा जो रचनाएँ लिखीं गई हैं उनमें दैवी विचार को गौरवपूर्ण स्थान प्रदान किया गया है।

q  कालिंगवुड - दैवी इतिहास में इतिहास का संदर्भ इस तरह दिया जाता है मानो वह भगवान द्वारा लिखा गया एक नाटक हो।

q  वह भी एक ऐसा नाटक जिसका कोई पात्र लेखक के प्रिय पात्रों में से नहीं है।

q  मध्यकाल में इतिहासकारों को लेखन के दौरान कई असुविधाएँ भी झेलनी पड़ीं।

q  मध्यकाल के अंतिम समय तक रोमन सभ्यता का पतन हो चुका था।

q  इसके पश्चात रोम में हिंसा की स्थिति उत्पन्न हो गई।

q  अतः ऐसे समय में रोम का सम्पूर्ण साहित्य नष्ट हो गया

q  और मध्यकालीन इतिहासकारों के लिए लेखन को आधार बनाने के लिए कोई स्रोत नहीं रह गए।

q  इस तरह लेखन के क्षेत्र में शून्य जैसी स्थिति निर्मित हो गई।

q  इसका फायदा पादरियों ने उठाया।

q  परिणामस्वरूप पादरियों ने लेखन पर अपना प्रभुत्व जमा लिया।

q  पादरियों ने जो रचनाएँ लिखीं उनमें धार्मिक हितों को प्रधानता दी गई।

q  चूंकि ये पादरी ज्यादा शिक्षित नहीं थे,

q  इसलिए उन्होंने कई जगह तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश किया,

q  जिससे उस समय उच्च कोटि के साहित्य की रचना में कमी आने लगी।

q  मध्यकालीन इतिहास लेखन में - ऐसे इतिहासकार हुए जिन्होंने धर्मनिरपेक्ष साहित्य रचना की रचना की।

q  ऐसे इतिहासकारों में बेडे, दि विलेहार्डन, सिरे ज्वाइनवीले, फिलिप दी कमिन्स आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

q  इन्होंने उस समय के राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक युद्ध जैसे सभी क्षेत्रों पर लेखन किया।

q  बेडे ने मध्यकालीन इतिहास में जो योगदान दिया, उसे भुलाया नहीं जा सकता।

q  उसने दैवी शक्ति से अलग हटकर समय या काल को महत्त्व दिया

q  और ईसा सन की शुरुआत करने वाला वह पहला इतिहासकार था।

q  ईसा सन के उद्भव से यूरोपीय इतिहास लेखन में क्रमबद्धता और तारतम्यता की शुरुआत हुई।

q  बारहवीं और तेरहवीं शताब्दी में अरस्तू ने एक बार फिर समय को महत्त्व दिया और उसे दैवी रचनाओं के ऊपर माना।

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q  ईसाई इतिहास लेखन पर ईसाई धर्म का प्रबल प्रभाव देखने को मिलता है।

q  यूनानी लोगों के इतिहास लेखन को यहूदी स्वयं अपने द्वारा लिखे गए इतिहास लेखन से ज्यादा अच्छा मानते हैं।

q  ईसाई लेखकों का कहना था कि मूर्तिपूजकों या यूनानियों द्वारा जो लेखन किया गया है वह दुष्टों द्वारा लिखा गया है।

q  ऐसा कहकर ईसाई लेखकों ने उसे नकार दिया और 'ओल्ड टेस्टामेन्ट' को गौरवपूर्ण स्थान प्रदान किया।

q  यूनानियों के इतना खिलाफ होने के बावजूद ईसाई इतिहास लेखन पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है।

q  संत ऑगस्टाइन ने अपनी पुस्तक 'सिटी ऑफ द गॉड' और 'सिटी ऑफ दी सेटन' में यह वर्णन किया गया है।

q  यह लड़ाई मूर्तिपूजकों और ईसाइयों के बीच की है। इसमें विजय ईसाइयों को मिलेगी और मूर्तिपूजकों का विनाश हो जाएगा।

q  मध्यकालीन इतिहास लेखन को सुरक्षित रखने में और नए आयामों को ढूँढने में इतिहासकारों का काफी योगदान रहा है।

q  मध्यकालीन इतिहास के विषय में जानकारी इन्हीं इतिहासकारों के माध्यम से प्राप्त हुई।

q  इनके अभाव में आधुनिक इतिहास लेखन असंभव हो जाता।



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मध्यकालीन इतिहास-लेखन : पश्चिमी

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By Vishwajeet Singh


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