MHI-09 ,Lesson - 12 || खिलाफत और असहयोग आंदोलन - Part-2 || The E Nub ||

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खिलाफत और असहयोग आंदोलन Part-2



असहयोग आंदोलन का कार्यक्रम

Ø  असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 में औपचारिक रूप से शुरू हुआ था

Ø  आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में 4 सितंबर 1920 को प्रस्ताव पारित हुआ 

(i) सरकारी स्कूलों या सरकारी सहायता से चल रहे स्कूलों का बहिष्कार करना।

(ii) विदेशी कपड़ों तथा अन्य वस्तुओं का बहिष्कार करना

(iii) सरकारी उपाधियों तथा अवैतानिक पदों का त्याग करना

(iv) स्थानीय संस्थाओं के सदस्यों द्वारा त्याग पत्र देना

(v) विधान मण्डलों के होने वाले चुनावों में चुनाव लड़ना और ही मतदान करना।

(iv) सरकारी उत्सवों, सभाओं तथा दरबारों का बहिष्कार करना।

(vii) सरकारी न्यायालयों का बहिष्कार करना

(viii) राष्ट्रीय शिक्षा के प्रसार के लिए देशी शिक्षा संस्थाएं खोलना

(ix) चरखे का प्रयोग - घर-घर सूती कपड़ा बनाना और इसी का प्रयोग करना

(x) विदेशी माल की दुकानों पर धरना देना तथा विदेशी माल बेचने से रोकना।

(xi) पंचायतें और देशी न्यायालय स्थापित करना, झगड़ों का निर्णय हो सके।

(xii) स्वदेशी माल के प्रयोग का प्रचार करना

(xiii) छुआछूत के विरुद्ध प्रचार करना और उसको मिटाने का प्रयास करना

(xiv) हिन्दू-मुस्लिम एकता को बढ़ावा देना।

(xv) सांप्रदायिक सौहार्द का संरक्षण करना और अहिंसा का कड़ाई से पालन करना

 

असहयोग आंदोलन के प्रमुख चरण-

1 प्रथम चरण-

(i) जनवरी से मार्च 1921 तक सरकारी विद्यालयों, महाविद्यालयों और न्यायालयों के बहिष्कार तथा चरखे के प्रयोग

(ii) हजारों विद्यार्थी सरकारी विद्यालयों को छोड़कर 800 राष्ट्रीय विद्यालयों में प्रवेश लेने लगे।

·        कलकत्ता और लाहौर में व्यापक छात्र आंदोलन हुए

·       शैक्षिक बहिष्कार मुख्य रूप से बंगाल और पंजाब में सफल रहे।

(iii) यद्यपि न्यायालयों का बहिष्कार उतना सफल नहीं हुआ

·       देश के कई प्रमुख वकीलों; जैसे-सी. आर. दास, मोतीलाल नेहरू, सैफुद्दीन किचलू, आसिफ अली आदि ने अपनी वकालत छोड़ दी।

(iv) विदेशी कपड़े के बहिष्कार हेतु हजारों स्वयंसेवक घर-घर जाकर स्वेदशी अपनाने की आवश्यकता के विषय में लोगों को समझाने की कोशिश करते थे।

·       विदेशी कपड़ों की सार्वजनिक होली जलाई गई।

·       विदेशी कपड़ों की दुकानों का घेराव किया गया।

(v) शराब की दुकानों का भी बहिष्कार किया गया, जिससे सरकारी राजस्व में पर्याप्त कमी गयी।

 

2. द्वितीय चरण

·       1921 में कांग्रेस का विजयवाड़ा में अधिवेशन हुआ।

·       अगले तीन महीनों में कांग्रेस के लिए एक करोड़ सदस्यों की भर्ती करने,

·       तिलक स्वराज कोष के लिए करोड़ रुपए जमा करने और 20 लाख चखें लगाने और बाँटने का फैसला किया गया।

·       इन कार्यक्रमों में पर्याप्त सफलता मिली।

·       50 लाख सदस्यों की भर्ती की गई एवं बड़े पैमाने पर चखें लोकप्रिय हो गए।

·       लोग बड़ी संख्या में खादी के कपड़े पहनने लगे।

 


3. तृतीय चरण

(i) जुलाई 1921 में मुहम्मद अली ने एक उत्तेजक भाषण में घोषणा की कि ब्रिटिश सेना में सेवारत रहना मुसलमानों के लिए धार्मिक स्तर पर अन्यायपूर्ण है और

·       मुसलमानों को त्यागपत्र देने के लिए कहा, परंतु शीघ्र ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

(ii) एक महत्त्वपूर्ण राष्ट्रवादी अभियान प्रिंस ऑफ वेल्स के दौरे के खिलाफ हुआ।

·       17 नवम्बर को जैसे ही वह बॉम्बे में उतरे उनका स्वागत पूरे शहर में हड़तालों और प्रदर्शनों से हुआ,

·       जिसका समापन कई जगहों पर हिंसा से हुआ।`

 

4. चतुर्थ चरण -

(i) खिलाफत के हसरत मोहानी जैसे नेता ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता की मांग कर रहे थे।

(ii) कांग्रेस ने अपनी प्रांतीय समितियों को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने की स्वीकृति दे दी थी।

·       सरकार ने अपनी दमन नीति तेज कर दी।

·       बड़े पैमाने पर लोग बंदी बनाए गए, बैठकों पर रोक लगी और स्वयंसेवी दलों का निषेध हुआ।

(iii) कांग्रेस और सरकार दोनों को हिंसा का डर था।

·       गोरखपुर जिले में चौरी-चौरा में 5 फरवरी, 1922 को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की एक भीड़ ने पुलिस पर हमला किया, बदले में पुलिस ने गोलियाँ चलाई।

·        इससे क्रोधित होकर लोगों ने पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और उसमें कई पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गई।

(iv) जब गाँधी को इस घटना के बारे में पता चला, तो उन्होंने आंदोलन को वापस लेने का निश्चय किया।

·       इसके बाद 10 मार्च 1922 को गाँधी को गिरफ्तार कर 6 साल के लिए जेल में डाल दिया गया।

·       इसके साथ ही असहयोग आंदोलन स्थगित हो गया।

 

असहयोग आंदोलन की मुख्य उपलब्धियां

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में असहयोग आंदोलन और खिलाफत आंदोलन महत्त्वपूर्ण योगदान हैं,

1. दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद यह गाँधी का भारत में प्रथम विस्तृत आंदोलन था।

·       असहयोग और खिलाफत आंदोलन ने भारतीय जनता में स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए ब्रिटिश सरकार विरोधी चेतना को जगाने और फैलाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

2. असहयोग आंदोलन के कारण हिन्दू-मुस्लिम एकता सुदृढ़ हुई।

·       हिन्दुओं और मुसलमानों ने साथ-साथ पूरे देश में आंदोलन में भाग लिया।

·       हिन्दू-मुसलमान इतने घुल-मिल गये थे कि प्रायः खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन की बैठकों में भेद करना कठिन हो जाता था।

3. मालाबार घटनाओं से भी हिन्दू-मुस्लिम एकता प्रभावित नहीं हुई।

4.असहयोग आंदोलन में गिरफ्तार किए गए लोगों में 2/3 मुस्लिम थे।

·       गाँधी ने इस रिश्ते को बनाए रखने और कार्य संपादन करने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

5. असहयोग आंदोलन ने जातिगत भेदभाव और अस्पृश्यता को दूर करने पर भी बल दिया।

6. आंदोलन का क्षेत्र विस्तृत - यह केवल शहरों में अपितु ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्रसारित हुआ।

·       इस अवधि में मध्यवर्ग के अतिरिक्त विशेष रूप से किसान और मजदूर सक्रिय थे।

·       इस दौरान किसानों और मजदूरों के भी आंदोलन हुए।

7. इस आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि इसमें महिलाओं का भाग लेना है महिलाओं के लिए यह उनके घरों की दीवारों से मुक्ति और राष्ट्रीय आंदोलन दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण घटना थी।

8. गाँधी के नेतृत्व में इन आंदोलनों ने भारतीय राजनीति की संरचना में क्रांतिकारी परिवर्तन किए।

आंदोलन की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सम्पूर्ण देश की जनता को आपस में जोड़ने और उनमें राजनीतिक तथा सामाजिक चेतना के निर्माण में निहित थी।


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By Vishwajeet Singh

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