MA History MHI-101, Unit-7 लैटिन अमेरिका Part-1

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Unit-7 लैटिन अमेरिका Part-1

माया सभ्यता

·       माया सभ्यता कोई साम्राज्य या एकीकृत राजनीतिक इकाई नहीं थी

·       बल्कि बिखरे हुए बड़े और छोटे शहरों और गांवों की एक सांस्कृतिक इकाई थी।

·       माया बस्तियों में शहरों का काफी विकास हुआ।

·       उन शहरों के उत्सव केन्द्र भी माया बस्तियों की एक प्रमुख विशेषता रही है।

·       शहरों की बनावट कुछ इस प्रकार की होती थी कि उसके केन्द्रीय उत्सव दरबार के चारों ओर विशाल चौक होता था।

·       उस विशाल चौक में शहर का बाजार लगता था।

·       सरदारों, पुरियों और शासकीय कर्मचारियों का घर उत्सव केन्द्र के समीप होता था,

·       जबकि साधारण लोगों के घर उत्सव केन्द्र से दूर होते थे।

·       उन शहरों में छोटे चाक से लेकर विशाल जलाशय, चौड़ी सड़कें, क्रीडा प्रांगण और स्मारकों का ढांचा भी बना होता था।

·       ऊपरी माया बस्तियों में कुआं भी पाए गए हैं जिसे सेनोट्स कहा जाता था

·       उनका उपयोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए होता था।

·       माया बस्तियों में चूना-गारा और टोडा मेहराब का प्रयोग।

·       टोडा मेहराब का निर्माण पत्थरों द्वारा किया जाता था।

·       टोडा मेहराब के निर्माण के लिए एक के ऊपर एक पत्थर इस प्रकार रखा जाता था कि दो दीवारें आपस में मिल जाती थीं तथा मेहराबी छत का निर्माण हो जाता था।

·       इस प्रकार के मेहराब के निर्माण में पत्थरों के वजन और संतुलन का भी ख्याल रखा जाता था।

·       माया बस्तियों में निर्मित भवनों का आकार एवं प्रकार की सुन्दरता का व्यापक ख्याल रखा जाता था।

·       यहाँ के भवनों को नक्काशी के द्वारा सजाया भी जाता था।

·       माया बस्तियों द्वारा विशाल पिरामिड का भी निर्माण किया गया है।

·       थुआक्साकटन माया सभ्यता का एक पुराना शहर था

·       इस शहर में माया सभ्यता की सारी विशेषताएं मौजूद थीं।

·       यहाँ के मंदिर पिरामिड थे।

·       उसमें चौड़ी सीढ़ियां हैं

·       जिन्हें गचकारी नकाब से सजाया गया है।

·       मंदिर परिसर में पत्थर का एक चबूतरा भी बना हुआ था, जिसमें लकड़ी का एक घर बना हुआ था।

·       यहाँ एक ही तरह के तीन मंदिरों का भी निर्माण किया गया।

·       उन मंदिरों की सीढ़ियों एवं छत को भी अलंकृत किया गया था।

·       मंदिर में गचकारी मुखौटों पर जिन देवताओं के चित्र बने थे, उन्हें शासकीय लोग या सरदार लोग अपना पूर्वज मानते थे।

·       उससे ऐसा प्रतीत होता है कि देवी-देवता और शासक के मध्य एक खास संबंध का निर्माण हो चुका था।

·       माया बस्तियों में शासकों एवं सरदारों के लिए भव्य इमारतें बनाई गई थीं।

·       परंतु सर्वसाधारण के लिए साधारण तथा देसी घरों का निर्माण भी हुआ था।

·       सर्वसाधारण के रहने के लिए बने उन घरों को 'ना' कहा जाता था,

·       जिनके घरों की दीवारें लकड़ी की बनी होती थीं तथा छतें ताड़ के पत्तों द्वारा बनाई जाती थीं।

·       बस्तियों में चौड़ी सड़कें थीं।

·       उन चौड़ी सड़कों को स्केब या स्केबेओब कहा जाता था।

·       ये चौड़ी सडकें माया सभ्यता के विभिन्न शहरों एवं गांवों को एक-दूसरे से जोड़ती थीं।

·       ये सड़कें दुर्गम स्थानों से भी गुजरती थीं।

·       ये जंगलों एवं दलदलों से होकर भी जाती थीं।

·       कुछ सड़कों का निर्माण पत्थरों को काटकर भी किया जाता था।

·       सड़कों को शहरों एवं गांवों को एक-दूसरे से जोड़ना

·       ताकि आर्थिक निर्माण का उद्देश्य में पूर्ति, कार्यकलाप तथा प्रशासनिक कार्यों को संपन्न करने में परेशानी हो।

·       ये विशाल शहरी केन्द्रों को जोड़ने के साथ-साथ अंदरूनी क्षेत्रों से भी जोड़ती थीं।

·       माया सभ्यता की बस्तियाँ काफी विकसित अवस्था में थीं।

·       यहाँ सड़कों का एक विशाल जाल था,

·       जो विभिन्न बस्तियों को आपस में जोड़ती था।

·       माया बस्तियों में निर्मित भवनों में शिल्प एवं नक्काशी का भी सुन्दर नमूना देखने को मिलता है।

·       मायावासी बस्तियों के लोगों के बीच आपसी सम्पर्क  भी काफी उन्नत अवस्था में था।

·       यहाँ की बस्तियों की एक प्रमुख विशेषता थी चूना-गारा एवं टोडा मेहराब का प्रयोग।

·       बस्तियों के केन्द्र में मंदिर उत्सव केन्द्र भी होते थे।

·       मंदिरों के विकास पर माया बस्तियों ने काफी ध्यान दिया था।

·       मंदिरों की छतों एवं दीवारों को अलंकृत भी किया जाता था। 

https://www.youtube.com/watch?v=fC-ABLTI1yM

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by vishwajeet singh



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