Unit-7 लैटिन अमेरिका Part-2
इन्का सभ्यता
· इन्का सभ्यता का फैलाव मुख्यतः आधुनिक इक्वाडोर, पेरू, बोलीविया, चिली, अर्जेन्टिना या मध्य एन्डियन के उच्चस्थ इलाकों में था
· एन्डियाई क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र था, जहाँ के भौगोलिक वातावरण में काफी विविधता थी।
· उस क्षेत्र में खेती योग्य भूमि भी पर्याप्त नहीं थी।
· इसका कारण था कि यह एन्डीज के उच्चस्थ क्षेत्रों में विकसित सभ्यता थी।
· एन्डीज के कारण समतल भूमि का अभाव था।
· जो भी क्षेत्र थे वे काफी ऊबड़-खाबड़ थे, जिस पर खेती करना संभव नहीं था।
· यहाँ की जलवायु में भी काफी विषमता होती थी।
· इस क्षेत्र में मौसम - कभी खूब सर्दी होती है, तो कभी काफी गर्मी।
· एन्डियाई क्षेत्र की जलवायु - दिन में हद से ज्यादा गर्म होते हैं तो रातें उतनी ही ठंडी।
· रात और दिन के तापमान में 25-30 डिग्री का अंतर होता था।
· यहाँ चरागाहों की भी पर्याप्त उपलब्धता नहीं थी,
· जो चरागाह थी, वह भी बिखरी हुई थी।
· तटीय भूमि इतनी सूखी थी कि सिंचाई के बगैर उसे तैयार करना मुश्किल था।
· यहाँ के किसानों ने उस क्षेत्र की कमियों को इस प्रकार उपयोग किया कि वह यहाँ के लिए फायदेमंद साबित हुई।
· लोग उस जलवायु का इस्तेमाल अपनी सब्जियों एवं मांस को सुरक्षित रखने में करते थे।
· लोग अपने खाद्य पदार्थ को यहाँ की ठंड के कारण जमा लेते थे तथा फिर सुबह धूप में उन्हें सुखा लेते थे।
· इस प्रक्रिया से खाद्य पदार्थ खराब होने से बच जाते थे।
· खाद्य पदार्थों को इस प्रकार सुरिक्षत रखने की तकनीक का विकास होने के बाद लोग अपने खाद्य पदार्थ जैसे मछलियों आदि को लम्बे समय तक उपयोग हेतु रखा करते थे।
· इस तकनीक के कारण लोगों को न केवल खाद्य पदार्थों को रखने में मदद मिली, बल्कि इन खाद्य पदार्थों को दूसरी जगह भेजना भी आसान हो गया।
· खाद्य पदार्थों की सुरक्षा की तकनीक ने यहाँ के लोगों के जीवन को काफी हद तक सुगम बना दिया।
· उन खाद्य पदार्थों को लोग दूसरी जगह भेजकर वहाँ से अपनी अन्य आवश्कताओं की वस्तुएँ प्राप्त करते थे।
· उस क्षेत्र की तटीय सूखी भूमि पर खेती करने के लिए ग्लेशियर से सिंचाई के लिए नहरें भी बनाई गई थीं।
· उस क्षेत्र में सिंचाई के बगैर कृषि संभव नहीं थी, क्योंकि यहाँ की जलवायु काफी विषम थी।
· एन्डियाई क्षेत्र में रहने वाले इन्का वासियों ने यहाँ की कमियों का उपयोग करके उसे अपने लिए फायदेमंद बनाया।
· लोगों ने यहाँ की जलवायु में अपने भोजन को सुरक्षित रखकर उसका लंबे समय तक उपयोग करने में सक्षम हो सके
· साथ ही उन वस्तुओं को अन्य स्थानों पर भेजना भी सुगम हो सका।
· मितमाक इन्का सभ्यता में लोगों का ऐसा समूह था,
· जिसे खेती के लिए किसी दूसरी जगह पर भेजा जाता था, जो इन लोगों के लिए नई होती थी।
· हालांकि कुछ इतिहासकारों का मानना है ये इन्का द्वारा बसाए गए निष्ठावान लोग होते थे,
· जिनको विजित क्षेत्र में बसाया जाता था,
· ताकि वहाँ जाकर ये वहाँ की अर्थव्यवस्था एवं विकास को आधार दे सकें।
· वैसे सामान्यतः मितमाक यहाँ के स्थानीय निवासियों से 'एक दिन चलने' की दूरी पर अपना निवास बनाते थे।
· समय के साथ अब दूरी में वृद्धि होती चली गई।
· जब क्षेत्र में संचार व्यवस्था सुरक्षित व बेहतर थी तथा शांति और सौहार्द की स्थिति होती थी, तो ये मितमाक स्थानीय लोगों से लगभग 60-80 दिन की पैदल यात्रा पर स्थित होते थे।
· जनगणना में इन मितमाकों की गणना उनके मूल स्थान पर ही की जाती थी।
· मितमाकों ने इन्कावासियों के आर्थिक जीवन को व्यापक रूप से प्रभावित किया।
· मितमाक आमतौर पर कुशल और निष्ठावान लोग होते थे।
· ये आमतौर पर जिन स्थानों पर बसते थे, वे स्थान आगे चलकर शिल्प का विशिष्ट केन्द्र बन जाते थे।
· ये लोग जीवन के हर क्षेत्र में काफी कुशल होते थे।
· जिस स्थान पर ये जाते थे, वहाँ की अर्थव्यवस्था को ये गति प्रदान कर देते थे।
· उनकी बस्तियाँ पारिस्थितिक दृष्टि से कुछ खास होती थीं।
· लुपाका में ऐसे ही मितमाकों के द्वारा विकसित कुम्हार और धातु कर्मियों के अलग-अलग गांव होने का प्रमाण मिलता है
· तितिकाका झील के तट पर हुआनकेन के समीप राज्य द्वारा संचालित एक उत्पादक केन्द्र स्थापित किया गया था।
· यह एक ऐसा गांव था, जहां हजारों बुनकर और हजारों कुम्हार काम किया करते थे
· मितमाकों में से ही चुनी हुई महिलाओं को अपने जातीय परिवेश से अलग कर दिया जाता था और उन्हें पूर्ण रूप से बुनाई में लगा दिया जाता था,
· जिसका उनके राजनीतिक जीवन में विशेष महत्व होता था।
· इन्का काल में मितमाकों का उपयोग सैन्य सेवा के लिए भी होता था।
· राज्य मितमाकों की सहायता विद्रोह को दबाने एवं राज्य के विस्तार में लेता था।
· इसका एक उदाहरण यह मिलता है कि कोलपागुआ के किले की रक्षा करने के लिये मितमाकों को गुआरापा शहर दिया गया था,
· जहाँ उनके जातीय समूह के लोग अनाज उपजाते थे और उनके लिये खाद्यान्न उपलब्ध कराते थे।
· इन्का राज्य के विकास में मितमाकों ने इस रूप में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
· साम्राज्य के विस्तार की मदद की तथा उसके साथ ही समय के साथ उनकी जनसंख्या में भी वृद्धि हुई।
· मितमाकों ने राज्य के विस्तार के साथ-साथ शासन को मजबूती प्रदान की
· राजस्व वसूलने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी।
· ऐसे किसान जो स्वयं खेती करते थे या अपने उपभोग के लिए खेती करते थे, उनसे कर नहीं लिया जाता था।
· मितमाकों ने शिल्प एवं धातुकर्म के द्वारा उस समय की आर्थिक गतिविधियों को एक नई दिशा प्रदान की।
· ये लोग शासन के कार्यों में भी मदद किया करते थे।
· प्रशासनिक जिम्मेवारियाँ भी उनके द्वारा निभाई जाती थीं।
· मितमाक धातुकर्म एवं अन्य गतिविधियों के द्वारा इन्कावासियों की अर्थव्यवस्था को परिवर्तित कर देते थे।
· इस प्रकार स्पष्ट है कि मितमाकों ने इन्का सभ्यता के विकास में समग्र रूप से योगदान किया।