MA History MHI-101, Unit-6 रोमन साम्राज्य Part-2

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Unit-6 रोमन साम्राज्य Part-2




प्राचीन रोम में दास प्रथा

v  प्राचीन रोम में दास प्रथा अपने चरम विकास पर पहुँच गयी थी।

v  दास प्रथा के प्रसार की सम्भावनाएँ उस समय बढ़ीं, जब रोमन साम्राज्य ने पश्चिमी इलाकों में अभिजात वर्ग ने जमीनें प्राप्त कर ली थीं

v  रोमन साम्राज्य में बड़े आकार की जमींदारी हुआ करती थी, जिसे लैटिफुंडिया कहा जाता था

v  इसमें दासों द्वारा खेती करायी जाती थी।

v  यूनान में देखें तो वहाँ खेतों का आकार रोमन खेतों के आकार की अपेक्षा कम था।

v  इसीलिए वहां दास प्रथा के प्रसार की सम्भावनाएँ कम थीं, जबकि रोमन साम्राज्य में लैटिफुंडिया में बहुत सारे दासों से काम लिया जाता था।

v  इसी दौरान बन्दी बनाये गये लोगों को दास बना लिया जाता था।

v  रोमन साम्राज्य में दासों को सम्पत्ति की भांति समझा जाता था

v  अर्थात् उन्हें बाजार में बेचा और खरीदा जा सकता था। रोमन साम्राज्य में दासों के लिए सर्वस शब्द का इस्तेमाल होता था।

v  दासों की उपयोगिता रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में बनी हुई थी।

v  कृषि, खनन, हस्तशिल्प आदि क्षेत्रों में मुख्य रूप से दासों का लगाया जाता था।

v  हस्तशिल्प उद्योग में तो 90 प्रतिशत काम दासों से ही कराया जाता था।

v  इसके अतिरिक्त दासों को सरकारी दफ्तरों में लिपिकों के काम पर लगाया जाता था।

v  खेतों और खानों में काम करने वाले दासों को तो जंजीरों से बांधकर रखा जाता था।

v  रोमन साम्राज्य में दासों पर कड़ा नियन्त्रण रखा जाता था उन पर तरह-तरह के अत्याचार किये जाते थे।

v  दासों को अलग-अलग रखा जाता था, क्योंकि उनके बीच एकता हो सके, इसके लिए बड़ी सतर्कता बरती जाती थी।

v  परन्तु राज्य के कड़े नियन्त्रण होने के बावजूद भी इन दासों ने तीन बार विद्रोह किया।

v  पहला दास विद्रोह सिसली में 136-132 .पू. में हुआ।

v  इसी द्वीप पर दूसरा विद्रोह 104-102 .पू. में हुआ।

v  तीसरा विद्रोह 73-71 .पू. में हुआ।

v  यह विद्रोह बहुत जबरदस्त था

v  इस विद्रोह को स्पार्टाकस विद्रोह के नाम से जाना जाता है, जो कापुआ में आधुनिक नेपल्स के निकट हुआ।

v  इस विद्रोह को बड़ी निर्दयता के साथ कुचल दिया गया।

v  प्राचीन रोमन साम्राज्य में सबसे अधिक संख्या में दासों का उपयोग होता था

v  उस समय के किसी भी साम्राज्य में इतने दासों का उपयोग नहीं होता था।

v  इसीलिए तो यह कहा जाता है कि यूनान की तरह रोम दासों से मुक्त समाज नहीं था, बल्कि यह एक दास समाज था।

v  इसे दास समाज इसलिए कहा जा सकता है, क्योंकि उत्पादन के लिए व्यापक पैमाने पर दास श्रमिकों को काम पर लगाया जाता था।


पैट्रिशियन और प्लेबियन

v  रोमन साम्राज्य में नागरिक स्थायी रूप से दो श्रेणियों में बंटे हुए थे- पैट्रिशियन और प्लेबियन।

v  पैट्रिशियन संभ्रांत आनुवंशिक और सीमित समाज था।

v  एक नागरिक जन्मजात पैट्रिशियन या प्लेबियन हो सकता था।

v  पैट्रिशियन आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक रूप से दबंग लोगों का समूह था।

v  पैट्रिशियन में व्यक्ति को जन्म लेते ही धन, राजनीतिक अधिकार, उच्च सामाजिक हैसियत मिल जाती थी।

v  रोमन धर्म पर भी एकाधिकार था 

v  ये लोग प्लेबियनों अपना अधिकार इस प्रकार रखते थे कि प्लेवियनों को सीनेट का सदस्य नहीं बनाया जाता था।

v  इसके सदस्य केवल पैट्रिशियन लोग ही होते थे।

v  आरम्भ में सीनेट के सदस्यों की संख्या 300 थी, जो बाद में बढ़कर 600 हो गयी।

v  सीनेट के सदस्यों का चुनाव इसके सदस्य ही कर सकते थे।

v  वे अतिरिक्त या नये सदस्यों का चुनाव भी खुद ही करते थे।

v  प्लेबियनों का इसमें कोई योगदान नहीं होता था।

v  आरम्भ में सीनेट के सदस्य उन शक्तिशाली परिवारों के मुखिया हुआ करते थे, जिन्होंने राजतन्त्र का अंत किया था।

v  सीनेट के सदस्यों की सदस्यता आजीवन होती थी

v  इनके पास विशेष अधिकार हुआ करते थे, जो कि प्लेबियनों के पास नहीं होते थे।

v  पैट्रिशियन बड़े भूमिपति हुआ करते थे

v  इस समय रोमन गणतन्त्र पर इन्हीं का शासन था,

v  जो सीनेट के सदस्य होने के कारण इन्हें मिला हुआ था।

v  367 तक केवल पैट्रिशियन ही कॉन्सल बन सकते थे।

v  367 .पू. में एक लम्बे संघर्ष के फलस्वरूप पैट्रिशियनों ने एक पद प्लेवियनों के लिए छोड़ दिया था,

v  परन्तु काफी लम्बे समय तक यह महज औपचारिक बना रहा,

v  क्योंकि पैट्रिशियनों का चुनाव प्रक्रिया पर नियन्त्रण होता था और वे अपने मन मुताबिक सदस्य का चुनाव करते थे।

v  पैट्रिशियन समस्त राजनैतिक सत्ता को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रहे थे।

v  प्लेबियन दबाव बना रहे थे कि उनकी भी राजनैतिक सत्ता में भागीदारी होनी चाहिए।

v  गणतन्त्र की स्थापना के बाद पैट्रिशियनों ने जो व्यवस्था बनायी उसमें प्लेबियनों को कोई जगह नहीं दी गई।

v  वे प्लेबियनों को हर क्षेत्र में दबाना चाहते थे।

v  सभा में भी मन मुताबिक अध्यक्ष का चुनाव

v  सभा की कार्यवाही को नियन्त्रित करने का प्रयास

v  सभा में एक सदस्य एक मत के आधार पर मतदान नहीं किया जाता था। 

v  इस प्रकार आम आदमी मूक दर्शक की भांति नजर आता था।

v  अधिकांश सदस्यों की इसमें भागीदारी का कोई औचित्य नहीं बचा

v  इस प्रकार पैट्रिशियनों का दबदबा सभा में भी बना रहा।

v  पैट्रिशियनों ने प्लेबियनों को हर क्षेत्र में दबाने की कोशिश की और अपना वर्चस्व कायम करने का प्रयास किया; जैसे-आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक आदि हर क्षेत्र में पैट्रिशियन केवल अपना अधिकार चाहते थे।

 

कोमिशिया क्यूरियाटा और कोमिशिया सेंच्युरियाटा

v  क्रोमिशिया क्यूरियाटा (Cromitia Curiata)यह सभी नागरिकों की सभा होती थी,

v  जिसे कोमिशिया क्यूरियाटा के नाम से जाना जाता था।

v  पैट्रिशियनों के सत्ता में आने और कुलीनतन्त्रीय शासन स्थापित होने के साथ ही कोमिशिया क्यूरियाटा का महत्त्व घट गया।

v  इसको समाप्त तो नहीं किया गया, परन्तु इसकी ताकत पहले से घट गयी थी।

v  यह वंशीय सम्बन्धों पर आधारित सामाजिक इकाई थी, जिसे क्यूरिया कहा जाता था।

v  रोम के जो मूल निवासी थे वे इस क्यूरिया नामक इकाई में विभाजित होते थे,

v  क्यूरियाटा ऐसा था, जिसमें पैट्रिशियन और प्लेबियन दोनों को शामिल किया जाता था।

v  आरम्भ में रोम में 30 क्यूरिए थे और वे इन कबीलों में बटे रहे थे।

v  सभा में पैट्रिशियन अपने मन मुताबिक अध्यक्ष का चुनाव करके कोमिशिया क्यूरियाटा की कार्यवाही को नियन्त्रित करते थे,

v  क्योंकि सभा में एक सदस्य, एक मत के आधार पर मतदान नहीं किया जाता था।

v  प्रत्येक क्यूरियाई सामूहिक रूप से मत देता था, ताकि एक क्यूरिया का विचार एक साथ व्यक्त हो सके।

v  पैट्रिशियन वर्ग-कुलीन सम्बन्धों का उपयोग करके अपने-अपने क्यूरिए को प्रभावित कर लेते थे।

v  ये समस्त क्यूरिए का प्रतिनिधित्व करते थे और अपनी बात सामने रखते थे।

v  इस प्रकार आम आदमी मूक दर्शन ही बना रहता था।

v  धीरे-धीरे अधिकांश लोगों की भागीदारी का इसमें काई औचित्य नहीं बचा था

v  सभा के सत्रों में भाग लेने या विचार-विमर्श करने के लिए प्रत्येक क्यूरिए से केवल एक सदस्य को प्रतिनिधि के रूप में भेजा जाने लगा।

v  कोमोशिया क्यूरियाटा भी असमानता पर आधारित संरचना थी 

v  इससे यह उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि यह प्लेबियनों के हितों की रक्षा करेगी।

v  प्लेबियनों ने एक नयी सभा बनाने के लिए दबाव डालना शुरू किया

v  इसके लिए नागरिकों को फिर से अलग-अलग समूहों में बांटा गया।

 

v  कोमिशिया सेंच्युरियाटा - प्लेबियनों के दबाव के चलते जो नयी सभा बनी, उसका नाम कोमिशिया सेंच्युरियाटा रखा गया।

v  इसमें भी कोमोशिया क्यूरियाटा की तरह दोनों श्रेणी- पैट्रिशियन और प्लेबियन दोनों नागरिक शामिल थे।

v  दो नौ सभाओं में मुख्य अन्तर यह था कि इसमें दोनों श्रेणियों के नागरिकों को अलग-अलग ढंग से अलग-अलग समूहों में बांटा गया था।

v  कोमिशिया सेंच्युरियाटा में नागरिकों के 'सेंचुरिज' सौ की संख्या में समूह बनाए गए।

v  सेंचुरी राम की सबसे छोटी सामाजिक इकाई होती थी और इसमें 100 सदस्य होते थे।

v  परन्तु व्यवहार में इनकी संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।

v  प्रारम्भ में यह एक सैन्य इकाई की तरह होती थी

v  सेंचुरिज की संख्या 193 थी

v  उन्हें पांच वर्गों में बांटा गया था

v  इनके विभाजन का आधार सम्पत्ति था।

v  यह विभाजन भी असमान था।

v  अधिकांश सेंचुरीज को पहले तीन वर्गों में रखा गया था, जिसमें अभिजात वर्ग और बड़े भूमिपतियों को रखा गया था।

v  कोमिशिया सेंच्युरियाटा में सेंचुरी एक प्रतीकात्मक इकाई थी।

v  प्रत्येक सेंचुरी में नागरिकों की संख्या समान नहीं थी।

v  सेंचुरी के पहले दो वर्गों में कम नागरिक थे और गरीब थे।

v  इन नागरिकों को प्रोलेटरी कहा जाता था।

v  यह सबसे निचला वर्ग था, इसमें लोग तो सबसे अधिक थे। परन्तु उन्हें केवल एक सेंचुरी ही दी गई थी।

v  इस प्रकार इन लोगों का इस सभा में प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं था और सभा में उनकी भागीदारी कोई मायने नहीं रखती थी।

v  कोमिशिया सेंच्युरीयाटा में प्रत्येक सेंचुरी के आधार पर वोटों का निर्धारण किया गया था, कि एक व्यक्ति एक मत के आधार पर।

v  इस प्रकार अभिजात वर्ग और बड़े भूमिपति के पास कम संख्या होने के बावजूद भी अधिक मत होते थे

v  इस सभा कि कार्यवाही पर भी पैट्रिशियनों का नियन्त्रण रहता था।

v  यह सभा 450 .पू. के आसपास बनी

v  जब तक रोम में गणतन्त्र रहा, यह सभा भी बनी रही। 

v  यह सभा ही कॉन्सलों और सेन्सर्स का चुनाव करती थी

v  .सारे कानून भी यही से पास किये जाते थे।

v  युद्ध और शान्ति की घोषणा करना इस सभा के विशेषाधिकार में शामिल था।

v  सेंच्युरियाटा एक सैन्य इकाई की भांति थी वहीं क्यूरिया ऐसी नहीं थी।

v  दोनों में ही प्लेबियनों और पैट्रिशियनों को शामिल किया जाता था।

v  सेंच्युरियाटा समूहों को सौ के आधार पर बांटा गया था, जबकि क्यूरियाटा में क्यूरिए के आधार पर बांटा गया था।

v  इनकी संख्या में भी अन्तर था। क्यूरियाटा की संख्या 80 थी, तो सेंच्युरियाटा की संख्या 193 थी।

v  वहीं दूसरी ओर क्यूरियाटा से अधिक अधिकार सेंच्युरियाटा के पास थे; जैसे-कॉन्सल सेन्सर्स का चुनाव करना और युद्ध-शांति की घोषणा करना आदि।

 


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https://www.youtube.com/watch?v=CBMvYnmN9WA&t=234s

THE E NUB 

BY VISHWAJEET SINGH

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