MA History MHI-101, Unit-5 प्राचीन यूनान Part-2

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 Unit-5 प्राचीन यूनान Part-2


(1) आरम्भिक यूनानी सभ्यता,

(2) पुरातन और क्लासिकी युग




·       अन्धकार युग के बाद के काल को यूनान में पुराना युग कहा जाता है।

·       यह लगभग 800 से 500 .पू. के बीच का काल था।

·       इसी युग में क्लासिकी यूनानी सभ्यता की नींव पड़ी।

·       यूनान में 500 से 338 .पू. के बीच के काल को क्लासिकी युग के नाम से जाना जाता है।

·       इस युग में कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

·       पुरातन युग 800 से 500 .पू. का काल यूनान में भूमिपति अभिजात वर्ग और किसानों के बीच टकराव का काल था।

·       लगभग 800 से 600 .पू. के बीच भूमिपति अभिजाती वर्ग ने भूमि और यूनानी राज्यों के राजनीतिक ढांचों पर अधिकार कायम किया।

·       जिससे छोटे किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ा और वे भूखे मरने लगे।

·       इसी कारण लाचार होकर इन छोटे किसानों ने अभिजात वर्ग के खिलाफ विद्रोह कर दिया।

·       600 .पू. तक आते-आते संकट की स्थिति में पहुँच गया था।

·       अभिजात वर्ग यह सोचने पर मजबूर होने लगे थे कि किसानों के लिए कुछ किया जाना चाहिए, जिससे उनकी समृद्धि बची रह सके।

·       परिणाम यह हुआ कि उन्हें किसानों के लिए कुछ सुधार करने पड़े और किसानों को, कुछ रियायतें दी गई।

·       इसी प्रकार के सुधार हमें एथेन्स में भी देखने को मिलते हैं।

·       एथेन्स अन्य राज्यों से मिलने वाले प्रमाणों के आधार पर कहा जा सकता है कि 594 . पू. में पूरे एथेन्स में एक जैसे परिवर्तन हो रहे थे।

 

·       एथेन्स में इस सुधारों को लागू करने के लिए सोलोन नामक एवं पंच की नियुक्ति की गई।

·       इसे व्यापक अधिकार दिये गये थे।

·       सोलोन ने किसानों को ऋणों से मुक्त किया।

·       यदि एथेन्सवासी मुक्त किसान ऋण का भुगतान करने में असमर्थ होते थे, तो उन्हें बंधुआ या गुलाम नहीं बनाया जा सकता था।

·       किसानों पर जो उस समय कर्ज था, वह भी माफ कर दिया गया।

·       सोलोन के इन सुधारों के बाद ही छह दशकों में स्वाभाविक रूप से एथेन्स में आन्दोलन शुरू हो गये,

·       क्योंकि ये राज्य भी इसी प्रकार के सुधारों को चाहते थे

·       और उन राज्यों में भी आन्दोलन शुरू हुए, जहाँ सुधारों को आधे-अधूरे ढंग से शुरू किया गया था।

 

·        अंत पश्चात राजनैतिक सत्ताओं को पलट दिया गया

·       और अपने-अपने राज्यों में तानाशाही स्थापित कर ली गई।

·       एथेन्स में पेसीसट्रेटस नामक व्यक्ति ने सत्ता पलट दी।

·       वह स्वयं इस शहर का सर्वोच्च शासक बन गया।

·       इस प्रकार एक नये प्रकार की सरकार और शासन व्यवस्था कायम होने लगी,

·       जिसे समकालीन इतिहासकार तानाशाही का नाम देते हैं।

·       पेसीसट्रेटस ने जिस प्रकार सत्ता पर कब्जा किया, उसे तानाशाह कहा जाता है।

·       इस यूनानी तानाशाही को एक ऐसे वर्ग का समर्थन प्राप्त था जिसमें जनता और खासतौर पर गरीब किसानों, जिनके पास व्यापार से कमाया गया धन तो था, परन्तु राजनैतिक सत्ता कोई भागीदारी नहीं थी।

·       527 .पू. में पेसीसट्रेटस की मृत्यु हो गयी।

·       उसकी जगह उसका पुत्र हिप्पियास शासक बना।

·       इस प्रकार तानाशाही शासक को राजवंशीय शासन में बदले जाने के परिणामस्वरूप लोगों में बहुत असन्तोष उत्पन्न हुआ

·       510 . पू. में हिटिपयास को अपदस्थ किया गया, यही तिथि यूनान में क्लासिकी जनता की शुरुआत की तिथि मानी जाती है।

 

·       अभिजात वर्ग अपने सम्बन्धियों को ही आनुवंशिक आधार पर कार्यकारी, न्यायिक और सैनिक पदों पर नियुक्त करते थे।

·       इसीलिए पुरातन युग के यूनानी राज्यों की सत्ता व्यवस्था को कुलीनतंत्रीय व्यवस्था कहा जाता है।

·       तानाशाही शासन व्यवस्था ने इस कुलीनतंत्रीय व्यवस्था का नाश किया और जनतंत्र के लिए एक रास्ता बनाया।

·       पुरातन युग में कई राज्यों में प्रजातन्त्र कायम हुआ, जिनमें शियोस और मेगरा आरम्भिक प्रजातन्त्र राज्य थे।

·       यूनान में 600 .पू. के आसपास जनतांत्रिक संस्थानों का विकास हो चुका था।

 

·       प्राचीन यूनान में पोलिस शब्द का इस्तेमाल उन राजनैतिक स्वरूपों के लिए किया था,

·       जिनमें जनतंत्र के बीज छिपे थे।

·       क्लासिकी युग प्रारम्भ होने तक यूनान में एथेन्स और स्पार्टा के राज्य दो प्रमुख पोलिस के रूप में उभरे।

·       इस प्रकार के राज्यों के बारे में ऐतिहासिक स्रोत भी कम मात्रा में मिलते हैं।

·       जैसे एथेन्स के बारे में अधिक जानकारी मिलती है।

·       स्पार्टा के बारे में इसके मुकाबले कम जानकारी मिलती है और कोरिन्थ तथा  साइरेस  के सम्बन्ध में इससे भी कम जानकारी मिली, जो कि महत्त्वपूर्ण जनतंत्र थे।

·       क्षेत्रफल के हिसाब से पोलिस छोटी राजनीतिक इकाई होते थे।

·       इनकी संख्या भी कम होती थी।

·       यदि पोलिस का क्षेत्रफल बड़ा होता और यहां की जनसंख्या अधिक होती, तो यहाँ जनतंत्र कभी स्थापित नहीं हो सकता था।

 

·       यूनान में नागरिकता की अवधारणा ज्यादा व्यापक नहीं थी

·       वह सीमित आधार पर थी।

·       केवल देसी और स्थानीय पोलिस के निवासी ही नागरिक माने जाते थे।

·       जनतंत्र में रहने वाले सभी आजाद लोगों को नागरिकता प्राप्त नहीं थी।

·       महिलाओं को नागरिकता से वंचित रखा गया था।

·       केवल वयस्क पुरुषों को ही नागरिकता प्रदान की जाती थी।

·       दूसरे वे लोग जो कि पोलिस के मूल निवासी नहीं थे, इन लोगों में वे लोग आते थे, जिन्हें जीतकर पोलिस में शामिल किया जाता था। उन्हें भी नागरिकता से वंचित रखा जाता था।

·       नागरिकों को ही कुछ अधिकार प्राप्त होते थे; जैसे-जमीन, सैनिक सेवा आदि में केवल नागरिकों की ही हिस्सेदारी होती थी गैर-नागरिकों की नहीं।

·       यूनानी राज्यों के पास कोई स्थायी सेना नहीं थी।

·       इसका कारण यह था कि राज्य के पास स्थायी सेना रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं थे।

·       सभी आजाद वयस्क नागरिकों को अनिवार्य तौर पर सैनिक सेवा करनी पड़ती थी।

·       यूनानी पोलिस के नागरिक ही सभा में भाग ले सकते थे और इन्हें ही मत देने का अधिकार प्राप्त था।

·       ये नागरिकों के मौलिक और मूलभूत अधिकार होते थे।

·       इन्हें सभा में स्वयं उपस्थित होना पड़ता था और प्रत्येक नागरिक सभा में उपस्थित होता था।

·       यह सभा शहर के केन्द्र में एक खुली जगह में आयोजित की जाती थी,

·       जिससे लोग अपने अधिकारों का उपयोग कर सकें।

·       चूँकि सभा में सभी लोग उपस्थित होते थे।

·       इसी कारण इसका आकार बड़ा होता था और बार-बार सभा आयोजित करने में भी कठिनाई होती थी।

·       इसके बड़े स्वरूप के कारण बैठक में केवल कुछ ही मुद्दों पर बहस हो पाती थी और लोग मत देते थे।

·       इसीलिए सभा के कर्मी के लिए परिषद के पास अधिक अधिकार होते थे।

·       परिषद ही सभा की बैठक आयोजित करती थी।

·       परिषद एक शक्तिशाली निकाय होता था और कई मामलों में इसकी सदस्यता पर भूमि अभिजात वर्ग का अधिकार होता था।

·       परन्तु एथेन्स में 500 .पू. तक परिषद में जनता की भागीदारी होनी शुरू हो गयी थी।

·       सोलोन ने एथेन्स के नागरिकों को चार वर्गों में बाँटा था।

·       नागरिकों की सम्पत्ति या धर्म के आधार पर उनका वर्गीकरण किया गया था।

·       उच्च वर्ग को पेन्टाकोसिओमेदिमनी कहा जाता था।

·       इस वर्ग के लोगों के पास इतनी भूमि अवश्य होती थी, जिससे कम से कम 500 मेदिमनोइ इकाई गेहूँ या इसी के बराबर वाइन या तेल निकाला जा सकता था।

·       इसके बाद के नागरिक होते थे जिनके पास इतनी भूमि हो जिससे कि 300 मेदिमनोइ पैदावार हो।

·       तीसरे वर्ग के लोगों को ज्यूगिताई कहा जाता था।

·       इनके पास कम से कम 200 मेदिमनोई इकाई पैदावार के लिए भूमि होती थी।

·       510 .पू. में हिप्पियस को अपदस्थ किये जाने और 431 से 404 .पू. के बीच एथेन्स और स्पार्टा के बीच लड़ाई हुई,

·       जिसे पोलोपानिसयाई युद्ध के नाम से जाना जाता है,

·       100 वर्षों में एथेन्स में जनतांत्रिक ढांचे का तेजी से विकास हुआ,

·       और इसके विकास में क्लिस्थेन्स ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

·       एथेन्स के नागरिक परम्परागत रूप से चार आयोनियाई कबीलों में विभक्त थे।

·       इससे उनके कबीले या वंश का पता चलता था, जो मूलतः एटार्टप्का से आये थे।

·       सोलोन ने राजनैतिक सुधारों के बाद प्रत्येक कबीले ने बुले में 100 सदस्यों को भेजा।

·       क्लिस्थेन्स के नागरिकों का समूहीकरण करने के लिए इस वंश-परम्परा को समाप्त कर दिया।

·       क्लिस्थेन्स ने देम नामक एक जनतांत्रिक संरचना की स्थापना की

·       प्रत्येक नागरिक किसी--किसी देम का प्राथमिक सदस्य होता था।

·       यह सबसे छोटी भौगोलिक इकाई थी,

·       जिसे एथेन्स के पोलिस को राजनैतिक उद्देश्यों के लिए विभाजित किया गया था।

·       कुल 139 देम थे। आगे इनकी संख्या बढ़ती चली गयी थी।

 

·       यूनानी सभ्यता में दास मजदूरों का अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान होता था।

·       मिस्र, मेसोपोटामिया, फारस, हित्ती जैसी प्राचीन सभ्यताओं में भी दास मजदूरों के होने के प्रमाण मिलते हैं।

·       यूनान में उत्पादन के लिए पहली बार दास मजदूरों का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया गया था।

·       प्रारम्भ में युद्धबन्दियों को दास बनाया जाता था

·       और बाद में जो ऋण नहीं चुका पाते थे, उन्हें भी दास बनाया जाने लगा

·       और यहाँ तक कि महिलाओं को भी दास बनाया जाने लगा।

·       इन दासों को खनन, हस्तशिल्प, कृषि कार्यों आदि में प्रयोग में लाया जाता था।

·       एथेन्स में दास सम्पत्ति की तरह से रखे जाते थे,

·       क्योंकि इन्हें समीप के बाजारों से खरीदा और बेचा जा सकता था।

 

·       यूनान में विभिन्न पक्षों पर विचार करने के बाद यहाँ का दार्शनिक पक्ष भी जानना बहुत जरूरी है,

·       क्योंकि यूनान में कई महत्त्वपूर्ण दार्शनिक हुए; जैसे-थेल्स, एनेक्सिमैंडस, एनेजेमेनस, पाइथागोरस, होरोडोटस सुकरात, प्लेटो, अरस्तु आदि।

·       इन दार्शनिकों ने इतिहास, दर्शन, गणित और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।

·       यूनान की परिस्थिति के कारण भी इस प्रकार के बौद्धिक विमर्श और विकास को अधिक माहौल मिला।

·       यहाँ आयोनियाई चिंतन की विचारधारा उत्पन्न हुई, जिसका समय 600 .पू. माना जाता है।

·       यह प्रारम्भिक दार्शनिक विचारधारा थी।

·       इस विचारधारा में प्रकृति के आधारभूत तत्त्वों (वायु, जल और जमीन) और उन्हें चलाने वाली शक्ति के सम्बन्ध में चर्चा की गई है।

·       पाइथागोरस आत्मा के पुनर्जन्म में विश्वास करता था और उसने आत्मा के सामंजस्य पर बल दिया।

·       हेरोडोटस को इतिहास का पिता कहा जाता है,

·       क्योंकि उसने ज्ञान की शाखा के रूप में इसकी पहचान की थी।

·       होरोडोटस ने इतिहास जिसे आमतौर पर तथ्यों, कथाओं मिथकों और किंवदंतियों का सम्मिश्रण माना जाता था,

·       इसने इतिहास के तथ्यों की खोज करके, छानबीन करके विश्वसनीयता को आधार बनाया और एक नया अर्थ रूप दिया।

·       सुकरात, प्लेटो और अरस्तु, क्लासिकी यूनान दर्शन के सर्वश्रेष्ठ चिंतक माने जाते हैं।

·       सुकरात ने प्रकृति के बारे में चिंतन की बजाय मानव अस्तित्व स्वरूप पर चिंतन के लिए अधिक बल दिया।

 

·       338 .पू. में मकदूनियाइयों का यूनानी प्रायद्वीप में और एजियन सागर के पोलिसों पर कब्जे के परिणामस्वरूप क्लासिकी युग समाप्त हो गया।

·       यूनान एक बड़ी सभ्यता का केन्द्र होने के बावजूद भी एक साम्राज्य के रूप में विकसित नहीं हो सका, जो कि एक अपवाद ही है।

·       500 .पू. और 480 .पू. के बीच फारसी साम्राज्य से जो संघर्ष चला, उसका मुकाबला करने के लिए यूनानी राज्य एकजुट हुए और विदेशी आक्रमणों का मुकाबला किया।

·       इस उद्देश्य के लिए एक संघ का निर्माण हुआ, जिसे डेनियल लीग कहा गया।

·       क्लासिकी युग में देम नामक एक जनतांत्रिक इकाई का निर्माण हुआ, जिससे राजनैतिक ढांचा मजबूत हुआ।

·       उत्पादन के लिए दास मजदूरों को बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया, जिससे उत्पादन बढ़ा।

·       यूनान में कई महान दार्शनिक हुए, जिन्होंने विचारधाराओं को अपनाया और यूनान को एक मजबूत बौद्धिक पक्ष देने में अपना योगदान दिया।


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THE E NUB

BY VISHWAJEET SINGH

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