Unit-5 प्राचीन यूनान Part-1
§ अकामेनिद बृहद साम्राज्य का निर्माण कर रहे थे, जो पश्चिम में एजियन सागर के तट तक फैला हुआ था
§ इसमें अनातोलिया की कई यूनानी बस्तियां शामिल थीं
§ साम्राज्यों के उस युग में प्राचीन यूनान का यह विकास एक अपवाद था।
§ क्योंकि एक महान सभ्यता का केन्द्र होने के बावजूद इसका विकास एक साम्राज्य के रूप में या यहां तक कि क्षेत्रीय विस्तार की दृष्टि से भी बड़ा राजनीतिक राज्य नहीं बन सका।
§ यूनान का केन्द्रीय क्षेत्र दक्षिण यूरोप में एक अनियमित आकार-वाला प्रायद्वीप था,
§ जो पश्चिम में आयोनियन सागर पूर्व में एजियन सागर और दक्षिण में भूमध्यसागर से घिरा हुआ था।
§ प्रायद्वीप का दक्षिणी हिस्सा हथेली के आकार का था जो भूमध्यसागर में मिला हुआ था।
§ इसे पेलोपान्नेस
(Peloponnes) के नाम से जाना जाता था।
§ पश्चिम अनातोलिया और यूनानी प्रायद्वीप एजियन सागर के दोनो ओर अवस्थित हैं।
§ एजियन सागर प्राचीन यूनान का भौगोलिक केन्द्र था।
एजियन सागर में ही छोटे बड़े आकार के कई द्वीप थे।
(1) आरम्भिक यूनानी सभ्यता, (2) पुरातन और क्लासिकी युग
· आरम्भिक यूनानी सभ्यता
(1) मिनोआई सभ्यता
(2) माइसीनियाई सभ्यता
(3) अन्धकार युग
(1) मिनोआई सभ्यता -
§ प्राचीन यूनान की सबसे पुरानी सभ्यता
§ इस क्षेत्र की पहली यूनानी कांस्ययुगीन सभ्यता माना जाता है।
§ यह सभ्यता 3 शताब्दी ई.पू. से शुरू होकर 1400 ई.पू. तक चलती रही।
§ इस सभ्यता के सम्बन्ध में प्रारम्भिक जानकारी 20वीं शताब्दी में सर आर्थस इवेन्स के द्वारा हुई खुदाई के फलस्वरूप प्राप्त होती है।
§ इस सभ्यता का नाम राजा मिनोस के नाम पर रखा गया था।
§ इस सभ्यता के अवशेष खुदाई के दौरान कई शहरों, जैसे- कनौसोस, फाइस्टोस और मालिया से मिलते हैं।
§ ये शहर राजनैतिक केन्द्र होने के साथ-साथ इस सभ्यता के व्यापारिक केन्द्र भी रहे होंगे।
§ भेड़ पालना और इससे ऊन प्राप्त करने के साथ-साथ यहाँ के लोग गेहूँ और जैतून की खेती भी करते थे।
§ व्यापार और पुनः वितरण के कारण ये उत्पाद शहर भी भेजे जाते थे।
§ इस सभ्यता में व्यापार भी अच्छे पैमाने पर किया जाता था और इस सभ्यता के व्यापारिक सम्पर्क मिस्र, अनातोलिया, लेबनान के समुद्री तट, एजियन से समुद्र के रास्ते भी होता था।
§ इनकी लिपि लिनियर 'ए' के नाम से जानी जाती है।
§ इस लिपि ने इन लोगों के व्यापार आदि के क्षेत्र में भी बढ़ावा दिया होगा।
§ इस लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है।
§ यह सभ्यता 1400 ई.पू. के आसपास समाप्त हो गयी थी। इस सभ्यता के पतन का कारण दक्षिण एजियन में उठने वाले ज्वालामुखी का भयंकर विस्फोट था,
§ जिसके कारण भयंकर प्राकृतिक विपदाएं आई और इस सभ्यता को लील गयी।
§ धीरे-धीरे यूनान की मुख्य भूमि से आकर क्रीट में बसने वाले लोगों ने अपना वर्चस्व कायम कर लिया।
§ उन्होंने इस सभ्यता से भी काफी कुछ ग्रहण किया, क्योंकि इस सभ्यता का केन्द्र क्रीट (Island in Greece) था।
( 2 ) माइसीनियाई (Mycenean) सभ्यता -
§ इस सभ्यता का कालक्रम 1600 से 1200 ई.पू. के बीच का माना जाता है।
§ हेनरिच श्लेमैन्न (Heinrich
Schleimann) द्वारा की गई खुदाई के परिणामस्वरूप इस सभ्यता के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त होती है।
§ इस सभ्यता का नाम माइसीनियाई स्थल के नाम पर पड़ा। इस सभ्यता के प्रमुख केन्द्र-ताइरिन्स, पिलोस, थेबेस, आरचोमेनस और नौसोस थे।
§ इस सभ्यता में जो बस्तियाँ थी, वे अलग-अलग राज्यों के रूप में थीं
§ और उन पर शासन भी अलग-अलग योद्धा सरदारों का था। ये सरदार वनस्क की शाही पदवी धारण करते थे
§ और अपने किलाबन्द शाही महलों में रहा करते थे।
§ यहाँ शासकीय संभ्रांत वर्ग में शक्तिशाली योद्धा, कुलीन वर्ग और विस्तृत नौकरशाही को शामिल किया गया था।
§ अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में नौकरशाही नियंत्रण था।
§ ये बड़े पैमाने पर विदेशी व्यापार में संलग्न थे।
§ इनकी आयात की वस्तुएं थी- सोना, तांबा, टिन और निर्यात की वस्तुओं में तेल, मिट्टी के बर्तन और कपड़े होते थे।
§ माइसीनियाई सभ्यता का समाज कई वर्गों में बंटा था। माइसीनियाई सरदारों को मधुमक्खी के छत्ते के आकार के मकबरों में दफनाया जाता था,
§ जिन मकबरों से प्राप्त धन और कलाकृति के आधार पर यह अनुमान लगाया जाता है कि इन सरदारों के पास बहुत-सा धन होता था।
§ माइसीनियाई सभ्यता से जो विभिन्न दस्तावेज मिले हैं, उनके आधार पर कहा जा सकता है कि ये लोग लिखना जानते थे
§ और इन्होंने अपनी एक लिपि विकसित कर ली थी जिसे लिनियर बी लिपि के नाम से जाना जाता है।
§ इस लिपि को 1952
में वेन्टरिस माइकल ने पढ़ा
है। इन्होंने यह बताया है कि यह लिपि यूनानी भाषा का ही प्रारम्भिक रूप थी।
§ यह सभ्यता 1200 ई.पू. तक कायम रही।
§ 1200 ई.पू. के पूर्वी भूमध्यसागर के क्षेत्र में कांस्ययुगीन सभ्यताओं के समाप्त होने के साथ-साथ एक बार फिर कबीलों का देशान्तरण शुरू हुआ।
§ आमतौर पर माइसीनियाई सभ्यता के पतन का कारण डोरियाई आक्रमण को माना जाता है।
§ हालांकि यह धारणा अब मान्य नहीं रही।
(3) अंधकार युग-
§ प्राचीन यूनानी इतिहास के कालक्रम में 1200 से 800 ई.पू. का काल अंधकार युग कहलाता है।
§ इस समय माइसीनियाई शहरों का पतन हो गया था। लिनियर बी लिपि लुप्त हो चुकी थी।
§ इस समय की जानकारी के लिए स्रोत बहुत कम उपलब्ध हैं।
§ इसी कारण इसे अंधकार युग कहा जाता है।
§ अंधकार युग चार शताब्दियों तक कायम रहा और 800 ई.पू. में इसका अन्त हुआ।
§ इसी युग में दो महान यूनानी काव्य-इलियड आर ओडिसि लिखे गये, जिसके रचनाकार होमर हैं।
§ ये महाकाव्य प्राचीन यूनान के नये एतिहासिक युग के सम्बन्ध में ऐतिहासिक जानकारी के स्रोत हैं।
§ आधुनिक इतिहासकार अन्धकार युग को अध्ययन की सुविधा के लिए दो उपभागों में बांटते हैं-
§ (1) 1200 से 1050 ई.पू. का काल,
§ (2) 1050 से 800 ई.पू. का काल माइसीनियाई सभ्यता के पतन के बाद कबीलाई देशान्तरण शुरू हुआ।
§ यहाँ के शहरों केन्द्रों का पतन हो गया और जनसंख्या भी घटने लगी।
§ यह पहले उपकाल में देखने को मिलता है।
§ इस जनसंख्या के घटने की पुष्टि 1300 से 1100 ई.पू. के बीच के पुरातात्त्विक साक्ष्य भी करते हैं।
§ बस्तियों की संख्या घटती चली गयी और उनका आकार भी छोटा होता चला गया।
§ कांसा बनाने के लिए जो टिन और तांबा बाहरी देशों से मंगाया जाता था, उसका व्यापारिक मार्ग भी इस समय बाधित हो गया था।
§ इस व्यापारिक मार्ग को बाधित होने के कारणों के सम्बन्ध में विद्वानों में मतभेद हैं।
§ 1000 ई.पू. के आसपास यूनान में एक नयी अर्थव्यवस्था और नये सामाजिक ढांचे का सूत्रपात हुआ।
§ माइसीनियाई सभ्यता के पतन के बाद, जो कबीलाई देशान्तरण शुरू हुआ था, उसके परिणामस्वरूप पूरे प्रायद्वीप में यूनानी भाषायी लोग भर गये।
§ दक्षिणी इटली में भी यूनानी बस्तियाँ बसाई गयी ।
§ इसी अवधि में तीन प्रमुख यूनानी बोलियों का उदय हुआ, ये थी-डोरिक, एवलिक और आयोनिक।
§ यह काल लौह संक्रमण का काल था।
§ इस काल में लौह प्रौद्योगिकी का विस्तार हुआ।
§ लौह प्रौद्योगिकी के उद्भव के कारणों के सम्बन्ध में हमारे पास सही जानकारी नहीं है।
§ पुरातात्त्विक प्रमाणों के आधार पर इतना कहा जाता है कि अनातोलिया और उत्तरी मेसोपोटामिया में लौह प्रौद्योगिकी का प्रयोग सबसे पहले हुआ।
§ एक बार लौह प्रौद्योगिकी के आने से पूरे यूनान में लोहे का प्रयोग तेजी से बढ़ा।
§ इससे पहले तांबे और टिन के आयात पर यहाँ के लोगों को निर्भर रहना पड़ता था।
§ 1200 ई.पू. में जब पूर्वी भूमध्यसागरीय व्यापार टूटा, तो यूनानी धातु प्रौद्योगिकी के लिए संकट उत्पन्न हो गया, क्योंकि तांबे और टिन की प्राप्ति इन लोगों को अब नहीं हो पा रही थी।
§ लौह प्रौद्योगिकी के आने से यहाँ फिर से धातु प्रौद्योगिकी की शुरुआत हो सकी।
§ यूनान धातु के पास लोहे का भण्डार था।
§ इसी कारण यहाँ के लोगों ने के रूप में इसी का अधिक से अधिक प्रयोग करना शुरू कर दिया, क्योंकि टिन और तांबे के आयात में धन भी खर्च होता था और समय भी।
§ दूसरे उपचरण में (1050 से 800 ई.पू.) में इस सभ्यता के विकास में प्रगति देखने को मिलती है, जिनमें लौह प्रौद्योगिकी ने विशेष योगदान दिया।
THE E NUB
BY VISHWAJEET SINGH




