MHI- 101 Unit - 4 (फारसी साम्राज्य)
§ एक वृहद् और विकसित साम्राज्य था
§ इसमें पश्चिमी एशिया, अनातोलिया और मिस्र शामिल था।
§ यह साम्राज्य 250 वर्षों तक कायम रहा
§ सिकन्दर के आक्रमण (331 ई.पू.) के साथ ही इस साम्राज्य का अन्त हुआ।
§ ईरान में सबसे पहले मेदियाइयों ने साम्राज्य की स्थापना की।
§ परन्तु पहला ईरानी विश्व साम्राज्य स्थापित करने का श्रेय अकामेनिदियाइयों को है।
§ इन लोगों ने मेदियाइयों को हराया और पश्चिमी एशिया, अनातोलिया और मिस्र को मिलाकर एक बड़े साम्राज्य की नींव डाली।
§ उस समय के विश्व का सबसे बड़ा राज्य था
§ अकामेनिदियाई मूलतः परसा या परसिया के रहने वाले थे, जो ईरान के फार्स (परसा) का क्षेत्र था।
§ इसीलिए इनके साम्राज्य को परसिया (फारस) कहा जाने लगा।
§ इस साम्राज्य की स्थापना, प्रसार और सुदृढ़ीकरण करने में 50 साल लगे।
§ साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण करने में साइरस महान और दारियस प्रथम का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
साइरस महान
§ साइरस महान ने इस साम्राज्य की नींव मेदियाई शासक अस्तयगेश को अपदस्थ करके रखी।
§ साइरस के मेदियाई और कारली कबीले के संघों का एकीकृत राजत्व शामिल किया,
§ अस्तयगेश को अपदस्थ करने में मेदियाई कुलीन तन्त्रों का सहयोग भी मिला था।
§ पहला अभियान अनातोलिया पर हुआ, फिर मेसोपोटामिया पर आक्रमण किया गया।
§ साइरस के समय बेबीलोनिया पर नेबोनिदस नामक शासक शासन करता था।
§ 539 ई.पू. में साइरस ने बेबीलोनिया पर आक्रमण किया और उस पर अपना अधिकार जमा लिया।
§ नेबोनिदस के अभिलेखों में भी इस घटना का जिक्र मिलता है।
§ बेबीलोनिया पर कब्जा करने के बाद मेसोपोटामिया, सीरिया, फिलिस्तीन में बेबीलोनियाई क्षेत्र भी अकामेनिदियाई साम्राज्य के अन्तर्गत आ गये।
§ उसकी मृत्यु के समय तक उसके शासन का विस्तार हिन्दूकुश की सीमा की पहाड़ियों तक हो गया था।
§ साइरस की मृत्यु 529 ई.पू. में हो गयी।
कैम्बिसेस (529-522 ई.पू.)
§ साइरस की मृत्यु के बाद उसका पुत्र कैम्बिसेस (529-522 ई.पू.) में शासक बना।
§ उसके विषय में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है।
§ यूनानी साहित्य में उसे पागल, सनकी और क्रूर शासक बताया गया है, जिसके मन में मिस्र की परम्पराओं के लिए कोई सम्मान नहीं था।
§ ईरान में उसकी स्थिति डगमगा गयी। उसे अपने राज्य के अन्तर्गत भी विद्रोह का सामना करना पड़ा।
§ कैम्बिसेस के शासन के अन्तिम वर्षों में अकामेनिदियाई राज्य की राजनैतिक स्थिति संकटग्रस्त हो गयी और विद्रोह हुये।
§ इसमें से अन्तिम विद्रोह कुछ प्रमुख अकामेनिद अधिकारियों का था,
§ जिसका उल्लेख हमें 'सात सरदारों' के विद्रोह के रूप में मिलता है और इसका नेता दारियस प्रथम था।
दारियस प्रथम
§ वह सत्ता पलटने में सफल हुआ और 522 ई.पू. में वह अकामेनिदियाई साम्राज्य का शासक बना।
§ दारियस प्रथम हितस्ताप्स का पुत्र था।
§ यह अकामेनिदियाइयों में सबसे महत्त्वपूर्ण शासक हुआ।
§ इसने साइरस और कैम्बिसेस के द्वारा जीते गये क्षेत्रों को सुगठित और सुनियोजित किया व एक स्थिर साम्राज्य की नींव डाली।
§ 522 ई.पू. तक दारियस प्रथम ने विद्रोहों को दबा दिया और अकामेनिदियाई सत्ता पर पकड़ मजबूत की।
§ दारियस प्रथम ने साम्राज्य प्रसार की नीति को जारी रखते हुये पूरब और पश्चिम की ओर अभियान किये।
§ पूरब में उसका साम्राज्य हिन्दूकुश की पहाड़ियों तक पहुँच गया था।
§ एजियन सागर तट का हिस्सा फारसी नियंत्रण में आ गया था।
§ फारस की खाड़ी, लाल सागर, पूर्वी भूमध्यसागर, एजियन सागर के तटीय इलाकों पर भी फारसी नियंत्रण मजबूत हुआ।
§ स्पार्टा सहित सभी यूनानी राज्यों को अपनी अधीनता स्वीकार कराने के लिए दारियस प्रथम ने पत्र भेजे।
§ यूनानियों ने इसे स्वीकार नहीं किया।
§ दारियस । ने अपनी कूटनीति से यूनानी संभ्रांतों को अपने पक्ष में मिला लिया।
§ क्योंकि जब यूनानी राज्यों पर कब्जा हुआ, तो इस संभ्रांतों को प्रांतीय प्रशासन और सेना में प्रमुख पद दिये गये।
§ दारियस I की मृत्यु 490 ई.पू. में हुई
जेरेक्स I
§ और इसके बाद इसके पुत्र जेरेक्स I ने शासन किया।
§ जेरेक्स 1 ने योजनाबद्ध तरीके से यूनान पर फिर से आक्रमण किया।
§ इसके लिए उसने व्यापक तैयारी भी की थी; जैसे-आपूर्ति स्थलों का निर्माण करावा, सड़कें बनवायी, पुलों का निर्माण कराया और नये दोस्त बनाये।
§ जेरेक्स I ने समुद्र और जमीन दोनों तरफ से आक्रमण किया।
§ यूनानी सेनाओं की विजय हुई।
फारसी साम्राज्य
§ दारियस I के समय में फारसी साम्राज्य उस समय के विश्व का सबसे बड़ा राज्य था।
§ इसमें एशिया माइनर, अरमेनिया, फिलीस्तीन सीरिया, मेसोपोटामिया, मिस्र, फारसी, अरबिया का उत्तरी हिस्सा अफगानिस्तान, तुर्कीस्तान, अजबोइजान, उज्बेकिस्तान, तजाकिस्तान, मकदून तथा सिन्धु घाटी के कुछ हिस्से तथा छोटे-छोटे क्षेत्र शामिल थे।
§ दारियस I द्वारा उठाये गये कदम महत्त्वपूर्ण थे। इसने इस साम्राज्य का पुनर्गठन किया
§ और जो क्षेत्र दूर थे, उन्हें एक राजनैतिक इकाई के रूप में गठित किया गया तथा नियंत्रित किया गया।
§ नजराना वसूलने के लिए एक नियमित व्यवस्था बनाई गई,
§ ताकि राज्य के केन्द्रीकृत प्रशासनिक ढांचे और विशाल सेना के रखरखाव का खर्च आसान हो सके।
§ दारियस । ने, एक शक्तिशाली और समृद्ध राजतंत्रीय राज्य के रूप में फारसी साम्राज्य को परिवर्तित किया।
सत्रप (Satraps)
§ फारसी साम्राज्य को विभिन्न राज्यों में विभाजित किया गया, जिसे सत्रप (Satraps) कहा जाता था।
§ यह प्रथा कोई नयी नहीं थी। यह मेदियाई युग से ही चली आ रही प्रथा थी।
§ ये प्रशासनिक इकाइयाँ केवल जीते गये क्षेत्रों में ही स्थापित की जाती थी।
§ दारियस I ने इन सत्रपियों को प्रशासन की आधारभूत इकाई के रूप में स्थापित किया।
§ इन सत्रप्रियों का नाम वहाँ के निवासियों के समूह पर रखा गया था।
§ इनका प्रशासक अर्द्ध-स्वायत्त राजा था।
§ फिर राजा द्वारा नियुक्त उच्च पदाधिकारी होता था।
§ परन्तु राजा अपने सैनिक-असैनिक अधिकारियों द्वारा इन सत्रपियों पर निगाह रखता था
§ और उन पर नियंत्रण बनाये रखता था।
§ सत्रपियों को यह निर्देश दिया जाता था कि वे केन्द्रीय सम्राट् के सम्पर्क में रहें और उससे पत्र-व्यवहार करते रहें।
§ इन पर नियंत्रण रखने के लिए 'श्रोता' नामक अधिकारी की नियुक्ति की जाती थी,
§ जो राज्य के कान की तरह होता था।
§ वे प्रान्तों से प्रत्येक खबर केन्द्र को भेजते थे और
§ इन सत्रपियों में व्यवस्था और कानून बनाये रखते थे।
§ राजा अपने मुख्य प्रशासनिक केन्द्र को एक स्थान से दूसरे स्थान पर बदलता रहता था
आर्थिक गतिविधियों
§ दारियस । को यह भी श्रेय जाता है कि उसने अकामेनिदियाई साम्राज्य में एकीकृत सिक्का व्यवस्था शुरू की।
§ मानवीकृत माप और तौलों की व्यवस्था की और एक नयी लिपि का विकास करके साम्राज्य का एकीकरण करने का प्रयास किया।
§ धातु के बने सिक्कों के चलने से अकामेनिदियाई साम्राज्य की आर्थिक गतिविधियों में परिवर्तन हुए।
§ व्यापार-विनिमय को बढ़ावा मिला।
§ आर्थिक लेनदेन आसान हुए।
§ लीदिया पर कब्जा करने का फायदा अकामेनिदियाई साम्राज्य को निश्चित रूप से मिला, क्योंकि लीदिया नियमित रूप से सिक्का जारी करने वाला विश्व का सबसे पहला राज्य था
§ इस समय सिक्का ढालना एक कठिन कार्य था।
§ सिक्कों पर उस राज्य की मुहर होती थी और
§ यह सरकार की सत्ता को व्यक्त करती थी।
§ सिक्कों का मूल्य, उसके आकार, वजन और शुद्धता के अनुरूप होता था
§ और राज्य इस पर अपनी मुहर लगाकर इसकी शुद्धता की पुष्टि करता था
§ सिक्के के जारी करने की एक लम्बी प्रक्रिया होती थी।
§ चांदी को मानकीकरण का मुख्य आधार बनाया गया था।
§ विनिमय के लिए धातु का प्रयोग होता था तथा बिना सिक्का ढाले ही इस धातु से विनिमय किया जा सकता था।
§ परन्तु अनातोलिया में सिक्का मानकीकरण का आधार प्रारम्भ में चांदी की बजाय सोना था, जो लीदियाई प्रभाव के कारण था।
§ राज्य ने सोने और चांदी दोनों धातुओं के सिक्के जारी किये और दोनों के बीच निश्चित विनिमय दर कायम की गई।
§ सोने और चांदी दोनों धातुओं के सिक्कों पर भी राज्य गारंटी देता था।
§ सिक्का ढलाई के परिणामस्वरूप व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आई।
§ राज्य के लिए अब एक बड़ा व्यापारिक बाजार बना, क्योंकि अब लेन-देन आसान हो गया था
§ और वस्तु-विनिमय से अब मुद्रा व्यवस्था कायम होने लगी थी।
सम्पर्क भाषा विकसित करने के लिए एक नीति
§ अकामेनिदियाई साम्राज्य बहुत बड़ा था और इसमें विभिन्न भाषाएँ बोलने वाले लोग रहते थे।
§ इस राज्य के लिए एक सम्पर्क भाषा को विकसित करने का कार्य दारियस । ने ही किया।
§ उसने एक सम्पर्क भाषा विकसित करने के लिए एक नीति बनाई।
§ इस साम्राज्य में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा आरमाइक थी।
§ यह मूलतः उत्तरी मेसोपोटामिया के कुछ कबीलों की भाषा थी।
§ असीरियाई साम्राज्य में भी आरमाइक भाषा का प्रयोग तेजी से और कालान्तर में इस भाषा का प्रयोग बेबीलोनियाई साम्राज्य में भी हुआ होने लगा।
§ फारसी साम्राज्य की स्थापना के समय आरमाइक भाषा मेसोपोटामिया, सीरिया और फिलीस्तीन की जन भाषा थी और पश्चिमी व्यापार के रूप में भी इसी भाषा का प्रयोग किया जाता था।
§ दारियस I और उसके उत्तराधिकारियों ने इस भाषा को प्रोत्साहन दिया और आरमाइक लिपि का विकास हुआ।
§ आरमाइक आम प्रजा की भाषा थी वहीं फारसी अकामेनिदियाई साम्राज्य के संभ्रांत लोगों की भाषा की थी और यह इस राज्य की सरकारी भाषा थी।
§ पुरानी फारसी में ही अभिलेख व राजाज्ञाएं लिखी जाती थीं।
§ फारसी साम्राज्य का विस्तार लगातार होता रहा और यह उस समय के विश्व में सबसे बड़ा राज्य बना
§ और इसके विस्तार के परिणामस्वरूप भिन्न क्षेत्रों को इसमें मिलाया गया,
§ जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां विभिन्न मान्यताओं और धार्मिक विश्वासों में आस्था रखने वाले भिन्न-भिन्न लोग रहने लगे।
By- Vishwajeet Singh
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