MHI-10 Lesson-5 (प्रारंभिक नगरवाद का परिचय)

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 प्रारंभिक नगरवाद का परिचय
 

     नगर -

·       नगर का तात्पर्य शहर

·       ग्रामीण समाज के विपरीत

·       गार्डन चाइल्ड - प्रारंभिक शहर के निर्धारण के लिए मापदंड निर्धारित किया

·       मापदंड बस्ती के आकार

·       जनसंख्या के घनत्व

·       व्यवसाय संबंधित विशेषता

·       अर्थव्यवस्था में अतिशेष की उपस्थिति

·       स्मारकीय सार्वजनिक भवन

·       शासक वर्ग

·       अभिलेखन की पद्धति और यथार्थ विज्ञान

·       लेखन, कला, विदेश व्यापार और राज्य का संगठन

 

       नगरवाद

·       नगरीय होने की अवस्था

 

       नगरीकरण

·       नगर बनने की प्रक्रिया

 

       प्रारंभिक नगरवाद की विशेषताएं

·       नगरी बसावट में घनी आबादी

·       जनसंख्या का केंद्रीकरण - रक्षा आवश्यकता, पर्यावरण कारण, संसाधनों की उपलब्धता, और धार्मिक केंद्रों का निकट होना

·       घनी आबादी के कारण उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ना

·       कृषि के अलावा अन्य आर्थिक कार्यों का मांग बढ़ना

·       नगरों में गैर कृषि कार्यकलापों का विकास

·       गैर निर्वाह कार्यकलापों का मांग बढ़ना- शिल्पकार  आदि

·       घनी आबादी वाले क्षेत्रों में श्रमिकों को अधिक रोजगार की उपलब्धता

·       कृषि ना करने वाले लोगों के लिए द्वितीय कार्य - प्रशासन सिर्फ उत्पादन और धार्मिक अनुष्ठान आदि

·       श्रम विभाजन की स्थिति उत्पन्न होना

·       गैर खाद्य उत्पादकों के सहायता

·       समाज में मंदिरों की भूमिका प्रेरक शक्ति के रूप में

·       मंदिरों द्वारा नगरवाद का विकास

·       अवस्थित समुदाय कृषि छोड़कर अन्य विकल्पों के लिए प्रेरित

·       जनसंख्या केंद्रीकरण का सामाजिक संबंधों पर प्रभाव

·       रोबोट एंडक्सने - मेसोपोटामिया समाज में भू स्वामित्व, शिल्प उत्पादन और अन्य व्यवसाय में वंश आधारित समूह थे।

·       वंशानुक्रम वर्साय संगठित थे

·       जॉनाथन केनोयर - भारतीय उपमहाद्वीप में जातियां प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग रहती थी।

·       इसी प्रकार की स्थिति हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में देखने को मिलता है।

 

       नगरों का उदय

·       पुरातत्वविद - बोलन दर्रे की तलहटी में नवपाषाण - ताम्र पाषाण बस्तियों के मैदानी क्षेत्र काची में मेहरगढ़ तक मानते हैं 

·       (बोलान दर्रा पाकिस्तान में बलूचिस्तान का एक प्रमुख दर्रा है जो क्वेटा को जैकोबाबाद से जोड़ता है।)

·       इसमें हड़प्पा बस्तियां शामिल नहीं है

·       हड़प्पा शहर पूर्ववर्ती थे।

·       इनका काल 3500-2600 °पू° था।

·       इसमें हड़प्पा सभ्यता की विशेषता मौजूद नहीं थी

·       यह अधिकांश स्थानीय समाज प्रतीत होते है

·       स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्रियों का प्रयोग  किया जा रहा था

·       बुनियादी निर्वाह का आधार - गेहूं और जौ

·       घरों के निर्माण के लिए ईटों का उपयोग

·       नगर वाद की प्रक्रिया दीर्घकालिक और क्रमिक थी

·       नगरवाद का बसावट परिवर्तन परिपक्व हड़प्पा की ओर बदलाव की संकेत करते हैं

·       परिपक्व हड़प्पा युग में नए स्थलों को प्राथमिकता दी गई

·       सिंधु घाटी में तीव्र गति से नगरीय विकास

·       नगरवाद के प्रारंभ में मोहनजोदड़ो जैसी बसावटें - पक्की सड़कें और जल निकास प्रणाली आदि द्वारा देखा जा सकता है

 

      नगरीय और ग्रामीण श्रेणियां

·       नगरीय श्रेणी में अनेक प्रकार की बसावट को शामिल किया गया

·       नगरीय केंद्र विभिन्न शब्द नगर, पूर, दुर्ग नाम से जाने जाते थे

·       नगरी केंद्रों के संबंध में लिखित स्रोतों का अभाव

·       जानकारी का प्रमुख आधार पुरातात्विक स्रोत

·       नगरी विशेषता का निर्धारण करने में आकार के साथ जनसंख्या के घनत्व आदि मापदंडों का प्रयोग

·       छोटे आकार के बसावट में भी नगरीय या अर्ध नगरीय व्यवस्था संभव

·       शहरों को कस्बों से अलग करने के लिए आकार का प्रयोग किया जा सकता है

·       आकार के आधार पर नगरीय केंद्रों का निर्धारण नहीं किया जा सकता

 


      


 

 By- Vishwajeet Singh

@TheENub & @NubInfo

 


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