प्रकृति मानव अंतर्संबंध
पाषाण काल तथा मध्य पाषाण काल में प्रकृति मनुष्य के अंतर्संबंध
§ औजारों के रूप में पहले पत्थर के टुकड़ों का उपयोग
§ अन्य सुलभ प्रकृतिक चीजों का इस्तेमाल
§ आरंभिक काल में मानव जीवनयापन के लिए शिकार एवं कंदमूल संग्रहण पर निर्भर
§ केवल शारीरिक विकास मानव विकास की व्याख्या नहीं
§ पत्थर के औजारों का प्रमुख रूप से प्रयोग
§ औजारों का प्रयोग वृक्षों को काटने, कंदमूल को तोड़ने, लकड़ी चीरने, शहद की प्राप्ति आदि के लिए उपयोग
§ मूल औजार पुरापाषाण काल से संबंधित था
§ शल्क औजार जो मध्य पाषाण काल से संबंधित था
§ कुल्हाड़ी सबसे महत्वपूर्ण औजार
§ हाथ की कुल्हाड़ी का उपयोग मूल रूप से भोजन के रूप में मांस को काटने के लिए होता था
§ आदिमानव प्रकृति के अनुसार प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अपने जीवनयापन के लिए किया
§ पाषाण कालीन अवस्था के बाद औजारों में महत्वपूर्ण बदलाव
§ औजारों धारदार एवं सूक्ष्म रूप में उपलब्धता
§ औजार उद्योग पर मानव का अधिक नियंत्रण
§ जानवर की हड्डी, सींग, बाॅस तथा लकड़ी का प्रयोग प्रचलन में आया
§ तकनीकी उपकरण का विकास तथा दक्षता
§ उपकरण कुशलता तथा दक्षता के कारण कालांतर में मानव का विकास
§ जीव जंतु के बारे में अधिक जागरूक
§ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्राकृति पर निर्भरता
§ इसे मानव प्रकृति के अंतर्संबंध के विकास में महत्वपूर्ण कदम
कृषि के आगमन के पश्चात मानव प्रकृति संबंध
§ कृषि के आगमन के साथ मानव संबंधों में परिवर्तन
§ मानव जीवन केवल प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्री पर निर्भर
§ मानव का कोई नियंत्रण नहीं
§ कृषि के कारण मानव दक्षता में बढ़ोतरी
§ मानव कृषि की और झुकाव
§ अनाजों को फलों व मासों के अपेक्षा अधिक समय तक सुरक्षित रखना
§ सामाजिक स्तरीकरण को बढ़ावा
§ जनसंख्या वृद्धि के कारण हस्तांतरण की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी
§ मानव खाद्य सामग्रियों से अलग हटकर शिल्प कला एवं तकनीकी विकास के लिए पर्याप्त समय देना
§ जनसंख्या वृद्धि के कारण अत्यधिक कृषि पर जोर
§ अच्छे उपकरणों तथा सिंचाई के लिए अच्छी तकनीक की मांग
§ धातु के प्रचलन के पश्चात धातु के औजारों का उपयोग
§ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन
औद्योगिक युग में प्रकृति मानव के अंतर्संबंध
§ मानव प्रकृति अंतर्संबंध में गुणात्मक तथा युग प्रवर्तक परिवर्तन औद्योगिक युग के साथ आरंभ होता है
-कृषि अधिशेष का उत्पादन
-शिल्प कला धातु कला का विकास
-विज्ञान व नवीन तकनीक का विकास
§ प्राकृतिक संसाधनों के पूर्ण शोषण तथा दोहन की ओर उन्मुख
§ कारण स्वरूप - प्राकृतिक आपदाएं व पर्यावरण प्रदूषण की समस्याएं में बढ़ोतरी
§ औद्योगिक युग में तकनीकी स्तर पर मानव को शारीरिक श्रम से मुक्ति
§ अजैविक स्रोतों के रूप में वैकल्पिक ऊर्जा का उपयोग
§ तापीय ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तन कर इसका व्यापक उपयोग
§ ऊर्जा की निरंतर बढ़ती मांग
§ कोयला व पेट्रोलियम जैसे नए स्रोतों का खोज
§ प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की नई अवधारणा का जन्म
§ प्राकृतिक ऊर्जा संसाधन हमेशा के लिए खत्म ना हो जाए इसके लिए चिंतन
§ औद्योगिकीकरण
§ उत्पादन क्षमता में वृद्धि
§ भोजन सामग्री की बहुलता
§ जनसंख्या स्तर में वृद्धि
§ जनसंख्या वृद्धि के कारण खेती पर दबाव , जंगलों तथा प्राकृतिक संसाधनों पर प्रभाव
§ बढ़ते हुए मशीनरी के कारण ऊर्जा की मांग में वृद्धि
§ ऊर्जा के जीवाश्म के रूप में लापरवाही से उपयोग
§ उद्योगों में अंधाधुन वृद्धि
§ कारण स्वरूप पर्यावरण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होना गंभीर पर्यावरण संकट का सामना करना