यूरोप में मध्यकालीन नगरों की धारणा
· मैक्स वेबर ने मध्यकालीन नगरों को उत्पादन केंद्र के रूप में देखा
· मध्यकालीन नगर पश्चिम में पूंजीवाद के विकास का प्रक्षेप स्थल बना
· हेनरी पिरेन - मध्यकालीन नगरों की प्रधानता और लंबी दूरी व्यापार को सामाजिक परिवर्तन के साधन के रूप में देखते हैं
· 11 वीं शताब्दी के बाद पश्चिमी यूरोप में व्यापारिक उन्नति के साथ यूरोपीय नगरों का उद्भव हुआ
· फर्नान्ड ब्रॉडल के अनुसार - नगरों के विकास के क्रम तीन बुनियादी प्रकार के नगर थे-
(i) मुक्तनगर,
(ii) आरक्षित नगर,
(iii) अधीनस्थ नगर ।
(i) मुक्तनगर -
· अपने आंतरिक भूभाग के समान थे और कभी-कभी इसमें मिश्रित भी होते थे।
· इसके उदाहरण ग्रीस और रोम हैं।
· इस प्रकार के नगरों के अधिकांश भाग पर किसानों का कब्जा था।
(ii) आरक्षित नगर -
· आत्मनिर्भर इकाइयों में थे और स्वयं में अधिक सुरक्षित थे।
· यहां की जीवन-शैली व्यक्तिगत
· ये नगर सामन्तों से मुक्त थे।
· इन नगरों में रहने वाले लोगों द्वारा सत्ता को सापेक्षिक रूप से हस्तगत कर लिया गया था।
(iii) अधीनस्थ नगर -
· तीसरे प्रकार के थे। ये नगर राजाओं और राज्य के अधीन थे।
· फ्लोरेंस और पेरिस इस प्रकार के नगर थे।
· ये व्यापारिक नगर थे
· और आर्थिक दृष्टि से समृद्ध थे।
· ब्रॉडल के अनुसार व्यापारिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक नियंत्रण संबंधी प्रकार्य और शिल्प क्रियाकलाप बड़े नगरों के प्रमुख लक्षण हैं।
· मिशेल फूको, हेनरी लेफेब्र और एडवर्ड सोजा का कहना है। कि - नगरीय इकाइयों के निर्माण में सम्मिलित स्थानिक प्रक्रियाओं का विश्लेषण और अध्ययन उनसे मानवीय निर्माताओं के उद्देश्य तथा उनकी पूर्ति की सीमा का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।
· मैक्स वेबर ने प्राचीन ग्रीक तथा रोमन नगरों जो मुख्यता उपभोग केंद्र थे
· यूरोपीय मध्यकालीन नगरों को उत्पादन केंद्रों के रूप में देखा गया
· पूंजीवादी विकास की प्रक्रिया को विनिमय की प्रक्रिया से जोड़ा गया
· उत्पादकों एवं व्यापारियों के हितों को राजनीतिक तथा सांस्कृतिक प्राथमिकता भी प्रदान की
· मध्यकालीन पश्चिम के निवासियों की रचना उत्पादकों तथा व्यापारियों से मिलकर हुई
· हेनरी पिरेन मध्यकालीन नगरों की स्थापना का श्रेय सामाजिक परिवर्तन को देते हैं
· जो व्यापार बढ़ने के कारण हुई
· मॉरिस डॉब - मध्यकालीन नगरों के उत्थान और बाजारों के विराम ने सामंतवाद की संरचना पर विघटनकारी प्रभाव डाला था
मध्यकालीन भारतीय नगर संबंधित दृष्टिकोण
· मोहम्मद हबीब का कहना है कि मोहम्मद गौरी की विजय के पश्चात उत्तर भारत में श्रम प्रक्रिया में तेजीआई
· नगरी क्रांति का जन्म हुआ
· मोहम्मद गौरी के सैनिक ने नगरों में प्रवेश कर औद्योगिक क्षेत्रों में निर्मित पदार्थों का उत्पादन कार्य कया
· आपस में कोई भेदभाव नहीं था
· महावत, कसाई और बुनकरों आदि ने श्रम में योगदान दिया
· इस्लाम के प्रभाव के कारण इन कार्यों में तुर्की हिस्सेदारी बढ़ गई
· सामाजिक गतिशीलता बढ़ीं
· सेना के लिए सैनिक, कारखानों के लिए कर्मचारी, शिल्पकार, निजी सेवक, संगीतकार, नृत्यकिया आदि नगरों में बड़ी संख्या में उपलब्ध हो गए
· मोहम्मद हबीब द्वारा मध्यकालीन नगरों के श्रम प्रक्रिया को व्यक्त किया गया है
· जिसकी आलोचना इरफान हबीब द्वारा की गई
· इरफान हबीब के अनुसार- आर्थिक विस्तार का कारण मुख्यता कागज, वस्त्र और भवन प्रौद्योगिकी के परिवर्तन और व्यापार को बढ़ावा देना है
· नई भू राजस्व प्रणाली के माध्यम से ग्रामीण अधिशेष के बड़े भाग को हस्तगत करना
· बीडी चट्टोपाध्याय और आर चंपक लक्ष्मी - भारतीय नगरों को उद्भव को नौवीं शताब्दी के बाद मानते हैं
· चट्टोपाध्याय के अनुसार उत्तर पश्चिम भारत के नगरों का उद्भव का कारण व्यापार से उत्सर्जित शक्तियां थीं
· आर चंपक लक्ष्मी - नौवीं से 13वीं शताब्दियों में विदेशी व्यापार से प्रेरित होकर चोल राज्य में अनेक नगरों का विकास हुआ
· अधिकांश नगरों का उदय राजनीतिक कारणों से हुआ
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By- Vishwajeet Singh
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