हड़प्पा की अर्थव्यवस्था और व्यवसाय
· व्यवसायों की विविधता - नगरी और गैर नगरी परिस्थिति को अलग करना
· नगरीय केंद्रों में निर्वाह आधारित अर्थव्यवस्था
· कृषि आधारित व्यवसाय
· नगरीय बसावट में घनी आबादी
· कृषि नगरीय जनसंख्या का प्रमुख आधार
· कृषि के साक्ष्य - वनस्पति अवशेष, जले हुए बीज
· गैर कृषि व्यवसाय का नगरों में विस्तार
· गैर कृषि व्यवसाय - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की नगरों केंद्रों का प्रमुख विशेषता
निर्वाह आधारित अर्थव्यवस्था
· हड़प्पा में निर्वाह आधारित अर्थव्यवस्था के साक्ष्य
· खेती पशुपालन फल संग्रहण और शिकार आदि
· शीत और ग्रीष्म ऋतु में खेती
· विभिन्न प्रकार की फसलों का पैदावार
· गेहूं, जो, मटर , चना आदि
· उत्खनन में अनाजों के बीच मिले
· कपड़ों और अन्य कार्यों के लिए कपास और पटसन की खेती की जाती थी
· हड़प्पा में पशुपालन के साक्ष्य
· गाय, भैंस, भेड़, बकरी आदि
· सांड, भेड़ और कुत्ते की मूर्तियां
· लोगों द्वारा परिवहन के साधनों का प्रयोग
· टेराकोटा के गाड़ियों और पहियों के साक्ष्य
· खेती के लिए हल का प्रयोग
· लोगों द्वारा पशुओं के मांस का उपभोग
· मछलियों का आहार के रूप में उपभोग
· भोजन में विविधता
· खाद्यान्नों के साथ दूध मांस आदि का उपयोग
· दोहरी फसल की परंपरा
· फसल कटाई के लिए फलक, हंसियों का प्रयोग
· खेतों में सिंचाई के प्रमाण
· नाली प्रणाली उपयोग
· नहरों और चैनल आदि का प्रयोग
· कुए से सिंचाई
गैर निर्धारित आधारित अर्थव्यवस्था
· नगरों में कृषि के लिए क्षेत्र सीमित
· गैर कृषि में लोग विभिन्न व्यवस्थाओं में लगे
· मृदभांड बनाना, नालियों का निर्माण, ईटों का निर्माण, राजमिस्त्री, मुहरों गढ़ना आदि
· व्यवसायों में विविधता
· वस्तु विनिमय
शिल्प उत्पादन
· शिल्प उत्पादन क्रियाकलाप नगरीय केंद्रों की प्रमुख विशेषता
· मैरिजिओ तोसी - शिल्प उत्पादन के अनेक पुरातात्विक सूचकों के नाम बताएं
§ सुविधाएं उत्पादन के लिए औजार,
§ टूटे हुए औजार,
§ अर्थनिर्मित उत्पाद,
§ कच्चे माल जैसे पत्थरों का ढेर और
§ पुनर्चक्रण के लिए रखी गई सामग्री
· किसी एक प्रकार के सूचकों का बार-बार मिलना शिल्प उत्पादन को दर्शाता है
· हड़प्पा के लोगों द्वारा अनेक प्रकार के शिल्प कार्य
§ मृदभांड या टेराकोटा उत्पादन,
§ धातु कर्म,
§ मनकों का बनाना,
§ पत्थर के काम आदि
§ औजारों और बांटो के लिए तकनीक का प्रयोग
§ सबसे अच्छी फलक लंबे और
§ चमकदार बने होते थे
· अधिकांश कच्चा माल हड़प्पा आवासीय क्षेत्र के बाहर मिलता था
· हड़प्पा के लोग राजस्थान में खेतड़ी और बलूचिस्तान आदि से तांबा प्राप्त करते थे
· सीपी की कारीगरी का स्रोत तटवर्ती क्षेत्र के समीप होता था
· मोहनजोदड़ो जैसे अनेक बसावटओं में मिट्टी के बर्तन का उत्पादन का प्रमाण मिलता है
· हड़प्पा काल में शिल्पकाला के 3 पैटर्न थे
· प्रथम पैटर्न में चन्हूदड़ों और लोथल आते थे
§ मध्य आकार की बसावटो में शिल्प कार्य किया जाता था
· द्वितीय पैटर्न में कच्चे माल वाले स्रोत हैं
§ जैसे - सीपी के लिए नागेश्वर और लाजवर्द के लिए शोर्तुघई
· लाजवर्द या राजावर्त (अंग्रेज़ी: Lapis lazuli, लैपिस लैज़्यूली) एक मूल्यवान नीले रंग का पत्थर है जो प्राचीनकाल से अपने सुन्दर नीले रंग के लिए पसंद किया जाता है।
· शोर्तुगई (शोर्तुघई) उत्तरी अफगानिस्तान में लैपिस खानों के पास ओक्सस नदी पर 2000 ई. पू. के आस-पास स्थापित सिंधु सभ्यता का एक व्यापार कॉलोनी था।
· तृतीय पैटर्न में बड़े नगरों के शिल्प कार्य आते हैं
§ जिसमें शिल्प में विविधता मिलती है
§ शिल्प गतिविधियां मुख्य रूप से निचले शहर के दक्षिण पूर्वी भाग में केंद्रित था
§ शिल्प उत्पादन में विभिन्न सामग्रियों के प्रयोग में कुशलता दिखाई देती है
§ जैसे - सेलखड़ी पाउडर से चमकीले मृदभांड का निर्माण किया जाना
विनिमय और नेटवर्क
· कच्चे माल और निर्मित वस्तुओं का विनिमय सर्वाधिक निकट विनिमय नगरों और सीमावर्ती गांव के बीच हुआ
· नगरों में निर्मित वस्तुओं और सेवाएं गांव में उपलब्ध कराई जाती थी
· विनिमय समीपवर्ती क्षेत्रों के अलावा दूरस्थ बसावटों में भी होता था
· दूरस्थ क्षेत्रों से नगरों और शहरों में हड़प्पा शिल्प कार्य के लिए कच्चा माल आता था
· हड़प्पा नगरों में तांबे की वस्तुएं बनाई जाती थी
· तांबा राजस्थान के खेतड़ी क्षेत्र से आता था
· सीपी नागेश्वर और बालाकोट से आती थी
· हड़प्पा स्थल पर मेसोपोटामिया की कम वस्तुएं मिली है
· मुहरें और बांट विनिमय तंत्र की दो श्रेणियां थी
· हड़प्पा की मुहरे मेसोपोटामिया के समान
· हड़प्पा की मुहरे भारतीय कुबड़ा बैल के रूप में है
· पृष्ठ भाग पर छिद्र था
· जिसमें धागा पिरोया जाता था
· मोहरे पर अंकित लिपि को अभी तक पढ़ा नहीं जा सका
· बाट बिल्लैर के बने थे और घनाकार थे
· निम्न भर से अधिक भार के क्रम में थे
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