MA History || MHI-101 || Unit - 11 अरब संसार ||

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Unit - 11 अरब संसार



Øइस्लाम का उद्भव कबीलाई व रेगिस्तानी परिवेश केन्द्र में हुआ था,

Ø  इस्लाम जिस क्षेत्र में फैला वह दो सांस्कृतिक और राजनीतिक शक्तियां, यथा-पूर्वी रोमन साम्राज्य व सासानियाई साम्राज्य था।

Ø  छठी शताब्दी तक सीजर पोपवाद की आधारशिला बनी,

Ø  जिससे राजनीतिक व धार्मिक क्षेत्र में स्थिरता आई,

Ø  परन्तु इसके राजनीतिक स्वरूप के कारण धार्मिक असंतोष जुड़ गया।

Ø  अरब प्रायद्वीप के दक्षिणी हिस्से में शक्तिशाली राजवंशों का उदय हुआ

Ø  इस हिस्से की मिट्टी उपजाऊ थी

Ø  लोबान का उत्पादन बड़े स्तर पर किया जाता था। लोबान (महंगी वस्तु थी)

Ø  इन राज्यों के शाही शासक पुरोहित थे।

Ø  मक्का के व्यापारिक केन्द्र के निर्यात में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।

Ø  अरब प्रायद्वीप इन साम्राज्यों के नजदीक स्थित था - और राजनीतिक हलचलों से प्रभावित होता रहता था।

Ø  इस क्षेत्र में यहूदी / ईसाई धर्म लोकप्रिय थे।

Ø  एकेश्वरवाद धर्म व आस्था का हिस्सा था।

Ø  दोनों धर्मों की एक पैगम्बरी परंपरा थी।

Ø  दोनों मृत्यु के बाद जीवन में विश्वास रखते थे।

 

Ø  पैगम्बर मोहम्मद  (570 ई - 8 जून 632 ई)  का जन्म व प्रारंभिक जीवन मक्का में बीता।

Ø  यह वाणिज्यिक, धार्मिक व वित्तीय केन्द्र था।

Ø  मक्का, परवर्ती दक्षिण व पूरब-पश्चिम व्यापार मार्गों का मिलन- स्थल था,

Ø  इस कारण दक्षिणी अरब राज्य विकसित हुआ।

Ø  यमन राजशाही के बाद मक्कावासियों ने इस व्यापार पर नियंत्रण स्थापित किया।

Ø  सासानियों व रोमन साम्राज्य के युद्ध के कारण मक्का के रास्ते होने वाले व्यापार का महत्त्व बढ़ गया।

Ø  400 ई. के करीब मक्का की स्थापना हुई थी।

Ø  यहाँ के बाजार में वस्तु विनिमय होता था,

Ø  जो 600 ई. के आसपास एक पूर्ण , विकसित बाजार बन गया।

Ø  चीन भारत व दक्षिण अरब से यहाँ  सामान आता था।

Ø  अफ्रीका के दासों का व्यापार होता था।

Ø  मक्का को कुरैश कबीले ने वित्तीय रूप से समुद्ध किया।

Ø  इन्होंने मक्का दास्इकल द्वारा मार्ग में शांति स्थापित करके व्यापार को विकसित करके उसमें सहायता पहुंचाई।

Ø  इसमें पैगम्बर मोहम्मद के परदादा हाशिम को श्रेय दिया जा सकता है।

Ø  यह व्यापारिक व धार्मिक हितों की रक्षा करता था।

Ø  कुरैश कबीले ने व्यापार पर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखी थी।

Ø  छठी शताब्दी के अंत में इसमें दरार पड़ने लगी।

Ø  शहरीकरण के कारण मक्का पशुपालक संस्कृति के आदर्श से हट गया,

Ø  मक्का विकास के चरम पर पहुँच चुका था,

Ø  व्यापारिक अर्थव्यवस्था के कारण धन का संकेंद्रण कुछ लोगों के पास रहा,

Ø  जबकि बद्दुओं की समृद्धि नहीं बढ़ी।

Ø  बद्दुओं की आर्थिक स्थिति पिछड़ी ही रही।

 

 

Ø  बदलते कबीलाई समाज की समस्याओं के समाधान हेतु  इस्लाम की स्थापना हुई,

Ø  जिसने संस्कृति व राजनीति को भी प्रभावित किया।

Ø  पैगम्बर मोहम्मद ने अरब समाज में एकता व सौहार्द की स्थापना हेतु 'इस्लाम' का सिद्धांत दिया।

Ø  पैगम्बर मोहम्मद ने मदीना में इस्लामी राज्य स्थापित किया।

Ø  पितृहीन बालक पैगम्बर मोहम्मद के जन्म के बाद मां भी चल बसी

Ø  फलतः पालन-पोषण दादा अब्दुल व चाचा अबु तालिब ने किया।

Ø  अरब रिवाजों के अनुसार इन्हें अपने पिता की संपत्ति में हिस्सेदारी नहीं मिली

Ø  युवावस्था में पैगम्बर मोहम्मद की मुलाकात ईसाई व यहूदी पादरियों से हुई।

Ø  25 वर्ष की उम्र में पैगम्बर मुहम्मद ने विधवा खलीदा से निकाह किया।

Ø  610 ई. में एकांतवास के दौरान आत्मज्ञान प्राप्त हुआ।

Ø  इसके बाद पैगम्बर मोहम्मद को विश्वास हो गया कि उन्हें रसूल उल्लाह बनाकर भेजा गया है

Ø  उल्लाह इनके माध्यम से ईश्वर अपना संदेश पहुँचाना चाहता है।

Ø  ये संदेश मृत्यु तक पहुँचते रहे,

Ø  जिसमें ईश्वर की एकता,

Ø  दान देने का उत्तरदायित्व व गरीबों व परित्यक्ताओं की सहायता की बात की गई।

Ø  सर्वप्रथम पत्नी खदीजा, इसके बाद भतीजे अली ने आध्यात्मिक वचन ग्रहण किया।

Ø  इसके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी।

Ø  पैगम्बर मुहम्मद ने वाणिज्य की निंदा नहीं की बल्कि गलत तरीके से व्यापार को त्याज्य बताया।

Ø  इसमें धनी लोगों के सामाजिक दायित्व पर बल दिया गया।

Ø  वे बताना चाहते थे कि सभी लोगों में बराबर का संबंध होना चाहिए।

Ø  पैगम्बर मुहम्मद ने व्यापारियों के हितों पर प्रहार किया था।

Ø  इन्होंने सूदखोरी का विरोध किया था।

Ø  व्यापारी पैगम्बर मुहम्मद से राजनीति खतरा भी महसूस करते थे,

Ø  क्योंकि वे दावा किया करते थे कि इन्हें सीधे अल्लाह से शक्ति प्राप्त होती है।

 

Ø  फलतः 622 में- पैगम्बर मुहम्मद मदीना आ गया, जो हिजरत कहलाता है।

Ø  पैगम्बर मोहम्मद ने समुदायों को जोड़ने की दिशा प्रदान की थी

Ø  अतः वे न्यायाधीश की भूमिका निभाने हेतु आमंत्रित हुए।

Ø  अब पैगम्बर मोहम्मद की धार्मिक भूमिका में राजनीतिक तत्त्व भी समाहित हो गए।

Ø  पैगम्बर मुहम्मद ने मक्का की व्यापार व्यवस्था को चुनौती दी।

Ø  624 ई. में पैगम्बर मोहम्मद ने काफिले को लूटकर सफल सेनानायक का स्तर प्राप्त कर लिया।

Ø  625 ई. में मक्कावासियों ने हमला किया, परन्तु असफल रहे।

Ø  पुनः मक्कावासी 'खाई की लड़ाई' में पराजित हुए।

Ø  पैगम्बर मोहम्मद की इन सफलताओं ने कबीलों को आकर्षित किया, परन्तु पैगम्बर मोहम्मद मक्का से टकराव नहीं चाहते थे !

Ø  क्योंकि व्यापार के हित में नहीं था,

Ø  अंतत: 630 ई. में एक सन्धि के तहत मक्का ने समर्पण कर दिया।

Ø  मक्का पर नियंत्रण के बाद कई कबील पैगम्बर मोहम्मद से जुड़ने लगे।

Ø  मक्का के पतन के बाद पैगम्बर मोहम्मद ने धर्मांतरण पर बल दिया।

Ø  अब पैगम्बर मोहम्मद मुस्लिम समुदाय के सर्वोच्च नेता बन गए।

Ø  पैगम्बर मोहम्मद ने अरबों की भाषा की जरूरतों के अनुसार धर्म की स्थापना की,

Ø  यद्यपि धर्मांतरण के लिए जबरदस्ती नहीं की तथापि काफी लोगों ने इस धर्म को ग्रहण किया।

Ø  इस्लाम ने केवल धार्मिक लोगों की आध्यात्मिक जरूरतों को पूरा किया,

Ø  बल्कि अरबों की राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक, मनोवैज्ञानिक आदि जरूरतों को पूरा किया।

 

Ø  पैगम्बर मोहम्मद की मृत्यु के बाद विभाजन हो गया,

Ø  पैगम्बर मोहम्मद ने कोई धार्मिक/राजनीतिक उत्तराधिकारी नियम नहीं दिया था।

Ø  धार्मिक मामले में निर्देश हेतु खलीफा की नियुक्ति की गई

Ø  जिसका धार्मिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं होता था।

Ø  प्रथम खलीफा अवु को मुस्लिम समुदाय की सत्ता बहाल करने के लिए प्रयास करना पड़ा।

Ø  अबु के बाद उमर ने मिस्र व ईरान को अधिकृत किया।

Ø  इसी समय इस्लामी शासन की सरकारी पद्धति व वित्त की व्यवस्था की गई।

Ø  इन्होंने नई प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की।

Ø  इसने सैनिक शहरों का निर्माण किया।

Ø  इससे सेना का इस्लामीकरण आसान हो गया।

Ø  उमर की हत्या के बाद उस्मान खलीफा बना

Ø  इसने केन्द्रीकृत सत्ता स्थापित करने की नीति को कायम रखा और कुरान के पाठ का मानवीकरण किया।

Ø  यद्यपि प्रशासनिक अक्षमता के कारण वित्तीय अनियमितता आई ।

Ø  कबीलों में असंतोष फैला,

Ø  अतंतः मदीना में उस्मान की हत्या कर दी गई।

Ø  इसके बाद अली खलीफा बना।

Ø  इनको सीरिया में खलीफा मानने से इंकार कर दिया गया,

Ø  फलत: प्रथम बार गृहयुद्ध हुआ।

 

Ø  मुआविया (661-80) ने खलीफा बनकर उम्मैयद खिलाफत प्रारंभ की,

Ø  जो इस्लाम के धर्मनिरपेक्ष रूप की बात करता है

Ø  मुस्लिम राज्य की केंद्रीकृत सत्ता को स्थापित किया।

Ø  मारवान (683-85), अब्द अल मलिक (685-705) ने केंद्रीकृत खिलाफत की सत्ता बहाल की।

Ø  इसने केन्द्रीकरण पर बल दिया,

Ø  इसने साम्राज्य के आर्थिक संसाधनों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण रखने का प्रयास किया।

Ø  सुलेमान (715-717) परपीड़क व अय्याश खलीफा था।

Ø  उमर II (717-20) के समय राज्य के संसाधन कम होने लगे थे।

Ø  यजीद II (720-24) दुराचारी खलीफा था।

Ø  हिशम (724-743) ने मजबूत शासन की स्थापना की।

Ø  अल वलीद II (743-44) पथभ्रष्ट था।

Ø  इसका अंतिम खलीफा मरवान II था।


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By Vishwajeet Singh




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