MHI-01, Lesson - 20 || सामंतवाद पर विभिन्न दृष्टिकोण - PART - 01 || The E Nub ||

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सामंतवाद पर विभिन्न दृष्टिकोण




1- यूरोप में सामंतवाद के उदय संबंधित पिरेन की अवधारणा

2- मार्क ब्लॉक के अनुसार सामंतवाद

3- जॉर्ज दूबी - सामंतवादी क्रांति की अवधारणा

 

1- यूरोप में सामंतवाद के उदय संबंधित पिरेन की अवधारणा

·       सामंतवाद - सामंतवाद (अंग्रेज़ी: Feudalism फ़्यूडलिज़्म)

·       'फ्युडल' (सामंती) शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द फियोडेलिस (Feodalis) से हुई है

·       परंतु मध्ययुगीन यूरोप में इस शब्द का इस्तेमाल कानूनी अर्थ में किया जाता था।

·       'फ्युडलिज्म' (सामंतवाद) शब्द का प्रचार मुख्य रूप से 18वीं शताब्दी के फ्रांसीसी दार्शनिक बूलैवीयै (Boulainvilliers) और मौन्तेसक्यू की रचनाओं के जरिए हुआ।

·       सामंतवाद पर लिखने वाले आरंभिक इतिहासकार इस शब्द और व्यवस्था के कानूनी पक्ष पर ज्यादा बल देते हैं।

·       वे मुख्य रूप से फीफ (सामंति सम्पत्ति) अधिकारों, अधीनता ( दासत्व), राजकीय सेवाओं या सैन्य सेवा और अधिपतियों के न्याय से जोड़कर इसे देखते हैं

·       मध्यकालीन युग में इंग्लैंड और यूरोप की प्रथा थी।

·       इन सामंतों की कई श्रेणियाँ थीं जिनके शीर्ष स्थान में राजा होता था।

·       उसके नीचे विभिन्न कोटि के सामंत होते थे और

·       सबसे निम्न स्तर में किसान या दास होते थे।

·       यह रक्षक और अधीनस्थ लोगों का संगठन था।

·       राजा समस्त भूमि का स्वामी माना जाता था।

·       यह किसी जटिल सामाजिक संगठन को नहीं बल्कि एक प्रकार के सम्पत्तिगत अधिकार को द्योतित करता था



पिरेन के विचार

·       बेल्जियम के इतिहासकार हेनरी पिरेन ने यूरोप में इस्लामिक प्रसार के सामंतवाद पर प्रभाव के संबंध के विचारधारा प्रस्तुत की।

·       अपनी विचारधारा को दो अलग-अलग हिस्सों में बांटा।

o   1- मेरोविन्जियन युग में क्लासिकी परम्परा की निरंतरता दिखाई गई है,

o   2- दूसरे में कैरोलिंजी (Carolingian) युग के समाज में मौलिक परिवर्तन दिखाया गया है।

·       पांचवीं से आठवीं शताब्दी तक सीरियाई व्यापारी पूरब से मसाले और कीमती कपड़े, गाजा की शराब, उत्तरी अफ्रीका से तेल और मिस्र से पैपिरस मिस्र और एशिया माइनर से लेकर पश्चिम के बंदरगाहों तक लाते थे

·       इस वाणिज्य पर लगाया गया अप्रत्यक्ष कर (तोनल्यू Tonlieu) शाही राजस्व का प्रमुख स्रोत था

·       पिरेन का मानना था कि पुरातनता की परम्परा से अलगाव का सबसे बड़ा कारण उमय्यद खलीफा के तहत अरब मुसलमानों का तीव्र और अनपेक्षित आक्रमण था

·       जिसने 650 वर्षों तक भूमध्यसागर के गॉल समुद्र तट (आज का फ्रांस) को बंद कर दिया

·       और मर्सिलेस से वाणिज्य की धारा सूख गई

·       और सीरिया तथा मिस्र के साथ फ्रांसीसी संबंध बना रहा।

·       हालांकि बाइजेंटाइन की शाही नौसेना ने एजियन सागर, एड्रिएटिक और इटली के दक्षिणी तटों से अरब आक्रमणकारियों को भगाने में सफलता प्राप्त की

·       8वीं शताब्दी के आरंभ से इस क्षेत्र की सारी आर्थिक गतिविधि बगदाद और अफ्रीका तथा स्पेन जैसे देशों की ओर मुड़ गई जो पहले भूमध्यसागरीय समुदाय के सदस्य थे।

·       भूमध्यसागर अब पूरब और पश्चिम के बीच वाणिज्यिक और बौद्धिक संवाद और संचार का माध्यम नहीं रह गया

·       बल्कि दो विपरीत और अलग-अलग सभ्यताओं के बीच दीवार बनकर खड़ा हो गया

·       पिरेन के अनुसार यह यूरोप में सामंतवाद की स्थापना की ओर बढ़ा पहला चरण था।

 

·        आठवीं शताब्दी में शहरी जीवन और पेशेवर व्यापारी लुप्त हो गए

·       ऋण और करार पत्र समाप्त हो गए

·       लेखन का महत्व समाप्त हो गया

·       सोने के सिक्के के स्थान पर चांदी के सिक्के का प्रचलन शुरू हो गया

·       अर्थव्यवस्था में बाजार का अस्तित्व समाप्त हो गया

·       उसके स्थान पर साप्ताहिक बाजार लगने लगे

·       जहां लोग अपनी जरूरतों की चीजों को खरीद बिक्री करते थे

·       वस्तुओं के आदान-प्रदान के लिए विनिमय प्रणाली का प्रचलन आरंभ हुआ

·       प्रमुख आबादी खेती पर निर्भर हो गई

·       लोग अपने जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन करने लगे

·       व्यापारी कीमती वस्तुओं का व्यापार करते थे

·       ग्राहक भी सीमित थे

·       चल संपत्ति का आर्थिक जीवन में कोई महत्व नहीं रह गया

·       भूमि का स्वामित्व ही सामाजिक अस्तित्व के स्वरूप का निर्धारण करता था

·       पूरा समाज कृषि सभ्यता की ओर लौट चुका था राजनीतिक सत्ता कृषि क्षेत्र पर कब्जा जमाने वाले भूपतियों के हाथों में गई थी

 

·       पिरेन की इस अवधारणा की प्रशंसा भी हुई और आलोचना भी

·       कई इतिहासकारों ने यह मानने से इनकार कर दिया कि यूरोप में सामंतवाद के विकास में इस्लाम ने इतनी निर्णायक भूमिका निभाई थी,

·       खासतौर पर तब जबकि भूमध्यसागर में वाणिज्य पर प्रतिबंध लगाने की किसी सक्रिय अरब नीति का कोई संतोषजनक प्रमाण नहीं मिलता है

·       पिरेन की इसलिए भी आलोचना की जाती है कि उसने रोमन संसार की सांस्कृतिक एकता और मेरोविन्जी गॉल के आर्थिक जीवन में पूर्वी वाणिज्य की भूमिका पर जरूरत से ज्यादा बल दिया है।

·       बाद के अनुसंधान ने कैरोलिंजी युग में व्यापार और वाणिज्य के प्रसार पर बल दिया है।

·       एम. साब्ब (M. Sabbe) -  ने बहुमूल्य वस्तुओं के व्यापार पर किए अपने अध्ययन यह दिखाया है कि भूमध्यसागरीय व्यापार को उतनी बाधा नहीं पहुंचाई गई या वह पूरी तरह बंद नहीं हुआ जैसा कि पिरेन का मानना था।

·       आर. एस. लोपेज़ (बर्थ ऑफ यूरोप) और एफ. एल. गैनशौफ (F. L. Ganshof) ( कैरोलिन्जीयन्स ऐंड फ्रैंकिश ऐंड फ्युडलिज्म) -  ने यह दिखाया है कि आठवीं और दसवीं शताब्दियों के बीच भूमध्यसागर के बंदरगाहों में काफी कुछ व्यापार हो रहा था।

·       इन सबके बावजूद पिरेन के इस शोध ने निश्चित रूप से आर्थिक प्रमाणों पर गौर करने की परम्परा की शुरुआत की।

·       इसके अलावा उसने ऐतिहासिक प्रश्नों के नए द्वार खोले और कई दिशाओं में अनुसंधान को प्रवृत्त किया

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By Vishwajeet Singh






 

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