MHI-01 Lesson - 19 चीन
v प्राचीन चीन और प्रारंभिक मध्यकालीन चीन के संबंधों की चर्चा
v धर्म और राजनीतिक व्यवस्था
v कन्फ्यूसियसवाद
v चीनी समाज का प्रकार
v नौकरशाही व्यवस्था की भूमिका
v नौकरशाही व्यवस्था की कार्यशैली
v कृषि व्यवस्था
- चीनी राज्य 221 ईसा पूर्व में अस्तित्व में आया
- सर्वोच्चता के लिए कई सामंती राज्यों में संघर्ष
- शासक "किन" द्वारा चीन को प्रशासनिक इकाई के रूप में विभाजित करना
- नौकरशाही व्यवस्था की स्थापना करना
- खुद को सम्राट घोषित करना
- चीन में सम्राट की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण
- स्वर्ग पुत्र का दर्जा
- शासन सत्ता का सर्वोच्च
- बाहरी प्रशासनिक सीमाओं के अंतर्गत भी सम्मान
· नौकरशाही व्यवस्था की भूमिका
· नौकरशाही शासन पर प्रत्यक्ष नियंत्रण
· परीक्षा के आधार पर नियुक्ति
· नौकरशाही को कानूनों और नियमों के आधार पर काम करना
· नियुक्ति, पदोन्नति, स्थानांतरण नियमों के आधार पर किया गया
· नौकरशाही और सामान्य नागरिकों का दंड संहिता एक समान लागू
· नौकरशाही प्रशासन के प्रमुख पदों पर नियुक्त
· नियुक्ति के लिए कड़ी परीक्षा
· कन्फ्यूसियस ज्ञान की परीक्षा
· सभी लोग परीक्षा दे सकते थे
· बिना भेदभाव के परीक्षा देने का अधिकार
· यह परीक्षा है तीसरे वर्ष आयोजित की जाती थी
· सम्राट और नौकरशाहों के बीच खींचतानी
· सम्राट द्वारा नौकरशाहों पर नियंत्रण रखने की कोशिश
· नौकरशाहों को शक्तिशाली बनने से रोकना
· पदाधिकारियों के लिए नियमों का निर्माण
· अपने जिले में नौकरी नहीं कर सकते
· एक पद पर 3 साल से अधिक नहीं रह सकते
- चीन सम्राट के प्रमुख दायित्व
· राजनीतिक सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना
· प्राकृतिक आपदा से जनता की रक्षा करना
· सैनिक मामलों में सम्राट की महत्वपूर्ण भूमिका
· सभी अधिकारियों की नियुक्ति करना
· उन पर नियंत्रण रखना
· साम्राज्य का विस्तार
· बाहरी सीमा को नियंत्रित करना
· सम्राट प्रत्यक्ष रूप से लगभग 18 प्रांतों पर अपनी नौकरशाही के द्वारा शासन करता था
· स्वर्ग और पृथ्वी के बीच मध्यस्थ मानना
· बाढ़ भूकंप प्राकृतिक आपदाओं को अपशकुन माना जाता था - सम्राट के शासनकाल के दौरान (इसके पश्चात लोगों द्वारा अनुमान लगाया जाता था कि सम्राट अपने कर्तव्यों का सही से निर्वहन नहीं कर रहा है चारों और विद्रोह होने लगता था और यह समझा जाता था कि वह स्वर्ग से प्राप्त शासन करने का अधिकार खो चुका है)
· राजनीतिक व्यवस्था को निरंकुश या तानाशाही कहा जा सकता है
· चीन का कृषक समाज
· चीन का समाज मुख्यता किसानों का समाज था
· खेत जोतने वाले खेतीहर कहा जाता था
· भूमि पर स्वयं का अधिकार होता था
· राजा को वह कर देते थे
· समय के साथ करो का बोझ बढ़ता चला गया
· खेत बॅटते गए और छोटे हो गए
· किसान बड़े भूमिपतियों के यहां कस्तकार के रूप में कार्य करने लगे
· किसानों का शोषण बढ़ा
· उपज का आधा हिस्सा और इससे अधिक लिया जाने लगा
· केंद्रीय नियंत्रण कमजोर होना
· पदाधिकारी शोषण रोकने में असमर्थ
· किसान खेती छोड़ चोरी डकैती करने लगे
· 11वीं से तेरी शताब्दी के बीच चीन की कृषि व्यवस्था परिवर्तन
· आंतरिक और विदेशी व्यापार बढ़ा
· वाणिज्य उपकरणों का विकास
· कागजी मुद्रा का प्रचलन
· बड़े व्यापारिक घरानों का उदय
· शहरों और नगरों में तेजी से वृद्धि
· साक्षरता का तेजी से विकास
· शहरी संस्कृति का विकास
· चीनी समाज में व्यक्ति की अपेक्षा परिवार या कुल को चीनी समाज का आधार माना जाता था
· चीनी समाज पितृसत्तात्मक था
· चीनी समाज कृषि समाज था
· लोगों के घर काफी बड़े होते थे
· परिवार संयुक्त होते थे
· एक ही छत के नीचे संपूर्ण परिवार रहता था
· मुखिया और उसके बेटे का परिवार भी खुशी से रहता था
· संयुक्त परिवार में धार्मिक प्रथाएं भी अपना महत्त्व रखती थी
· कन्फ्यूसियसवाद
· कन्फ्यूसियसवाद में चीनी परिवार का बहुत गहरा आस्था थी
· इस धर्म में ईश्वर के अस्तित्व मृत्यु के बाद जीवन है या नहीं प्रश्न पर विचार नहीं किया गया
· चीनी लोग अलौकिक और अदृश्य शक्तियों में विश्वास रखते थे
· चीन में कन्फ्यूसियसवाद छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जन्मे दार्शनिक कन्फ्यूशियस के उपदेशों के कारण जन्मा
· चारों और अशांति फैली हुई थी
· सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाएं टूट रही थी
· इस माहौल में कन्फ्यूशियस में इस अवस्था से मुक्ति दिलाने और व्यवस्था तथा नैतिक मूल्यों को पुनः स्थापित करने पर जोर दिया
· बच्चों में नैतिक पुरुष का निर्माण कर के उद्देश्यों को प्राप्त की जा सकती थी
· यदि कामकाज सही व्यक्ति के हाथ में होगा तो समाज में शांति सद्भावना लौट सकेगी
· उपदेशों द्वारा चीनी व्यापारियों को सकारात्मक और सक्रिय रूप मिला
· शिक्षा और सार्वजनिक सेवा पर बल दिया गया
· व्यक्ति के सामाजिक उत्तरदायित्व को बल मिला
· कन्फ्यूसियसवाद के अलावा चीनी समाज में "ताओ" के एवं "बौद्ध धर्म" का अस्तित्व भी देखने को मिलता है
· ताओ धर्म और कन्फ्यूसियसवाद लगभग एक ही समय चीनी समाज में उभरा
· ताओ धर्म के संस्थापक लाओजी थे
· कन्फ्यूसियसवाद और ताओ धर्म में अंतर था
· ताओ धर्म का समाजिक या राज्य या नैतिक मूल्य से कोई लेना-देना नहीं था
· बल्कि प्राकृतिक असहजता जीवन के प्रति आनंद इसका दृष्टिकोण था
· बौद्ध धर्म के संबंध में भारत और चीन में गहरा संबंध था
· पहली शताब्दी ईसा के आसपास भारत से बौद्ध धर्म चीन आया और धीरे-धीरे फैलता गया
· चीन में बौद्ध धर्म का महायान शाखा का ज्यादा प्रभाव रहा
· जिसने संसार में व्याप्त दुख की प्रकृति का एक ठोस दार्शनिक उदाहरण प्रस्तुत किया
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By- Vishwajeet Singh

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