सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement)
सविनय अवज्ञा आंदोलन
Ø सविनय अवज्ञा आंदोलन - भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में एक निर्णायक क्षण था।
Ø इसमें महिलाओं और निचली जातियों के लोगों की भागीदारी देखी गई।
Ø सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च से हुई थी,
Ø जिसे नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है ।
Ø गांधी जी 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से
Ø आश्रम के 78 अन्य सदस्यों के साथ
Ø अहमदाबाद से लगभग 385 किलोमीटर दूर
Ø भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित एक गाँव दांडी के लिए पैदल निकले।
Ø 6 अप्रैल, 1930 को वे दांडी पहुंचे।
Ø गांधीजी ने नमक कानून का उल्लंघन किया और उसे तोड़ा।
Ø भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश सरकार का एकाधिकार था, इसलिए इसे अवैध माना जाता था।
Ø सविनय अवज्ञा आंदोलन को नमक सत्याग्रह की बदौलत महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ
Ø नमक मार्च - ब्रिटिश सरकार की नीति के प्रति नागरिकों के विरोध का प्रतिनिधित्व करता था।
Ø दांडी मार्च अहिंसक आंदोलन था।
Ø यह नमक पर ब्रिटिशो के एकाधिकार के खिलाफ शुरु हुआ,
Ø इसमें गांधी और उनके समर्थकों ने समुद्री जल से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को तोड़ा था।
Ø इस दौरान दांडी में हजारों लोगों ने उनका अनुसरण किया
Ø बंबई एवं कराची के तटीय शहरों में, भारतीय राष्ट्रवादियों ने नमक बनाने में नागरिकों का नेतृत्व किया था।
Ø नमक कानून तोड़ने के इस कृत्य से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण
Ø महात्मा गाँधी द्वारा 1922 में असहयोग आंदोलन स्थगित किये जाने से देश में निराशा का वातावरण फैलने लगा।
Ø भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता में कमी आने लगी।
Ø कांग्रेस के भीतर ही गाँधीवादी रणनीति से सदस्यों का विश्वास उठने लगा।
Ø नवयुवक वर्ग क्रांतिकारी हिंसा की ओर कदम बढ़ाने लगे।
Ø 1920 के दशक में मध्य में राष्ट्रीय आंदोलन से मुसलमान भी मुँह मोड़ने लगे थे
Ø जगह-जगह दंगे शुरू कर दिए।
Ø फलस्वरूप इस राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन लाना आवश्यक हो गया था।
Ø देश के विभिन्न भागों में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।
Ø महंगाई अपने चरम सीमा पर थी।
Ø इससे मजदूरों का जीवन बदतर हो गया था, इसलिए वे आंदोलन करना चाहते थे।
Ø भारतीय व्यावसायिक तथा औद्योगिक वर्ग में भी असंतोष था।
Ø साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन ने देश के राष्ट्रीय इतिहास में एक नया क्रांतिकारी मोड़ था।
Ø लाला लाजपत राय की मृत्यु ने आतंकवादी कार्यों को प्रोत्साहित किया।
Ø फरवरी 1923 में सर्वदलीय रिपोर्ट का समायोजन किया गया।
Ø मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में 9 सदस्यों की समिति भारत के संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए नियुक्त की गई।
Ø अगस्त, 1928 में लखनऊ में नेहरू रिपोर्ट को मान्यता प्रदान की गई।
Ø इसमें ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत भारत के लिए स्वशासित स्वराज्य की माँग की गई।
Ø 1929 के साल में जब जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार से अपने स्वराज की प्रस्तावना रखी थी,
Ø स्वराज की प्रस्तावना को अस्वीकार कर दिया गया
Ø महात्मा गांधी के पास Civil
Disobedience Movement के अलावा कोई भी उपाय नहीं था।
Ø गांधीजी ब्रिटिश सरकार को हिंदुस्तान की एकता का एहसास दिलाना चाहते थे।
Ø गांधी जी ने और बाकी सब ने मिलकर शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाकर अंग्रेजी सरकार के बनाए गए कानून को तोड़ा था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव
Ø
आंदोलन में ब्रिटिश सरकार को भारतीयों की शक्ति और एकता का एहसास करवाया था।
Ø
ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को लंदन मैं
आमंत्रण किया था।
Ø
गोलमेज सम्मेलन जो लंदन में
आयोजित किया गया था उसमें निमंत्रण मिलना।
Ø
परंतु इस सम्मेलन में कोई भी शामिल नहीं हुआ था।
Ø
सविनय अवज्ञा आंदोलन देश का एक सबसे बड़ा आंदोलन था
Ø
जिसके अंदर बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया था।
Ø
महिलाओं ने पहली बार अपने घर से बाहर निकल कर अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई
लड़ी थी।
Ø
सविनय अवज्ञा आंदोलन मैं महिलाओं ने अपना अहम योगदान दिया था।
Ø
इस आंदोलन में कई सारी महिलाएं जेल भी गई थी।
Ø
सविनय अवज्ञा आंदोलन की वजह से लोगों के मन में स्वाधीनता के प्रति नई आशा की
किरण जागने लगी थी।
Ø महात्मा गांधी के साथ-साथ बाकी सारे भारतीय लोग भी सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए निडर होकर खड़े हो गए थे।
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By Vishwajeet Singh