MHI-09, Lesson-15, सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) || The E Nub ||

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सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement)




सविनय अवज्ञा आंदोलन

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन - भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन में एक निर्णायक क्षण था।

Ø  इसमें महिलाओं और निचली जातियों के लोगों की भागीदारी देखी गई।

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी मार्च से हुई थी,

Ø  जिसे नमक सत्याग्रह के रूप में भी जाना जाता है

Ø  गांधी जी 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से

Ø  आश्रम के 78 अन्य सदस्यों के साथ

Ø  अहमदाबाद से लगभग 385 किलोमीटर दूर

Ø  भारत के पश्चिमी समुद्र तट पर स्थित एक गाँव दांडी के लिए पैदल निकले।

Ø  6 अप्रैल, 1930 को वे दांडी पहुंचे।

Ø  गांधीजी ने नमक कानून का उल्लंघन किया और उसे तोड़ा।

Ø  भारत में नमक उत्पादन पर ब्रिटिश सरकार का एकाधिकार था, इसलिए इसे अवैध माना जाता था।

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन को नमक सत्याग्रह की बदौलत महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त हुआ

Ø  नमक मार्च - ब्रिटिश सरकार की नीति के प्रति नागरिकों के विरोध का प्रतिनिधित्व करता था।

Ø  दांडी मार्च अहिंसक आंदोलन था।

Ø  यह नमक पर ब्रिटिशो के एकाधिकार के खिलाफ शुरु हुआ,

Ø  इसमें गांधी और उनके समर्थकों ने समुद्री जल से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून को तोड़ा था।

Ø  इस दौरान दांडी में हजारों लोगों ने उनका अनुसरण किया

Ø  बंबई एवं कराची के तटीय शहरों में, भारतीय राष्ट्रवादियों ने नमक बनाने में नागरिकों का नेतृत्व किया था।

Ø  नमक कानून तोड़ने के इस कृत्य से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई थी।

 


सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण

Ø  महात्मा गाँधी द्वारा 1922 में असहयोग आंदोलन स्थगित किये जाने से देश में निराशा का वातावरण फैलने लगा।

Ø  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्यता में कमी आने लगी।

Ø  कांग्रेस के भीतर ही गाँधीवादी रणनीति से सदस्यों का विश्वास उठने लगा।

Ø  नवयुवक वर्ग क्रांतिकारी हिंसा की ओर कदम बढ़ाने लगे।

Ø  1920 के दशक में मध्य में राष्ट्रीय आंदोलन से मुसलमान भी मुँह मोड़ने लगे थे

Ø  जगह-जगह दंगे शुरू कर दिए।

Ø  फलस्वरूप इस राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन लाना आवश्यक हो गया था।

Ø  देश के विभिन्न भागों में लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।

Ø  महंगाई अपने चरम सीमा पर थी।

Ø  इससे मजदूरों का जीवन बदतर हो गया था, इसलिए वे आंदोलन करना चाहते थे।

Ø  भारतीय व्यावसायिक तथा औद्योगिक वर्ग में भी असंतोष था।

Ø  साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन ने देश के राष्ट्रीय इतिहास में एक नया क्रांतिकारी मोड़ था।

Ø  लाला लाजपत राय की मृत्यु ने आतंकवादी कार्यों को प्रोत्साहित किया।

Ø  फरवरी 1923 में सर्वदलीय रिपोर्ट का समायोजन किया गया।

Ø  मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में 9 सदस्यों की समिति भारत के संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए नियुक्त की गई।

Ø  अगस्त, 1928 में लखनऊ में नेहरू रिपोर्ट को मान्यता प्रदान की गई।

Ø  इसमें ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत भारत के लिए स्वशासित स्वराज्य की माँग की गई।

Ø  1929 के साल में जब जवाहरलाल नेहरू और महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार से अपने स्वराज की प्रस्तावना रखी थी,

Ø  स्वराज की प्रस्तावना को अस्वीकार कर दिया गया

Ø  महात्मा गांधी के पास Civil Disobedience Movement के अलावा कोई भी उपाय नहीं था।

Ø  गांधीजी ब्रिटिश सरकार को हिंदुस्तान की एकता का एहसास दिलाना चाहते थे।

Ø  गांधी जी ने और बाकी सब ने मिलकर शांति और अहिंसा का मार्ग अपनाकर अंग्रेजी सरकार के बनाए गए कानून को तोड़ा था।

 

सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रभाव

 

Ø  आंदोलन में ब्रिटिश सरकार को भारतीयों की शक्ति और एकता का एहसास करवाया था।

Ø  ब्रिटिश सरकार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को लंदन मैं आमंत्रण किया था।

Ø  गोलमेज सम्मेलन जो लंदन में आयोजित किया गया था उसमें निमंत्रण मिलना।

Ø  परंतु इस सम्मेलन में कोई भी शामिल नहीं हुआ था।

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन देश का एक सबसे बड़ा आंदोलन था

Ø  जिसके अंदर बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया था।

Ø  महिलाओं ने पहली बार अपने घर से बाहर निकल कर अपने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी।

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन मैं महिलाओं ने अपना अहम योगदान दिया था।

Ø  इस आंदोलन में कई सारी महिलाएं जेल भी गई थी।

Ø  सविनय अवज्ञा आंदोलन की वजह से लोगों के मन में स्वाधीनता के प्रति नई आशा की किरण जागने लगी थी।

Ø  महात्मा गांधी के साथ-साथ बाकी सारे भारतीय लोग भी सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए निडर होकर खड़े हो गए थे।


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By Vishwajeet Singh

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